नाहर जसौल नमस्कारणा – कवि शक्तिदान जी कविया (बिराई)

चावी बातां चारणां, आप लिखी अणमोल।
कुळ महेच नाहर कमध, जलम्यो भलां जसोल।।
।।गीत जांगडौ।।
सूरज वंसी रावळ सळखाणी, मलीनाथ मालाणी।
मेहळ भगतां सिरै प्रंमाणी, रंग रूपांदे राणी।
माल तणो जगमाल महाभड़, वडम अनड़ रणबंको।।
अपहड़ बिजड़ हथौ अड़पायत, सात्रव दळ पड़ संको।।
धरा महेवो तज रजधान्नी, छित चहुँकांनी छाया।
मरजाद कुल घरवट त्यों मानी, दांनी पह दरसाया।।
माल कुळोधर घणा मांडिया, ठावा सधर ठिकाणा।
पयधर ज्यूँ दत ब्रवण प्रतापी, जस मुरधर घण जाँणा।।
महवेचाँ जसोल मुगटामण, घण शुभ त्रंबक घाई।
विरदां रजवट रीत वड़ापण, भलपण सगळां भाई।।
वाघ सवाई हुवा जसोवल, पीथळ जसवंत पाणां।
सांमधर्मी खत्रवाट वैरसल, वीरत अलख वखांणा।।
जिण कुळ में रावळ जोरावर, पुन्याई फळ प्रामैं।
आखर डिंगळ गीत अमरसी, निछरावळ जज नामै।।
भ्रात भतीज सुतन बड़भागी, लेस न काळस लागी।
पौरस जस अंजस रा पागी, ज्यॉ सूं कीरत जागी।।
ठाकुर नाहरसिंघ सठावौ, चारण हित कुळ चावौ।
वकील डूंगर गुणा बधावौ, पित आशीषें पावौ।।
नाहर तणी पढ़ी रचनावां, कढ़ी काळजै कोरां।
मढ़ी मौतियाँ सूं घण मीठी, हिवड़ै चढ़ी हिलौरां।।
लिखी चारणां री बातां लख, ख्यातां परख खरीकी।
जातां जुगां कदै न जावसी, सातां सुखां सरीखी।।
नेणौ नूर निर्मळो नेही, सेणौ हिय सरसायौ।
वेणौ में इमरत ज्यूँ वरसे, दैणों कुरब दिखायौ।।
निरख भाव वरणाव अनूठौ, चाव कहवतां चोखी।
पाठक पाय प्रभाव प्रेरणा, उकत उमाव अनोखी।।
विगत चारणाचार वरणवी, दाद धारणा देतां।
नाहर जसौल नमस्कारणा, लखों वारणा लेतां।।
।।दुहौ।।
शुभ चाहूँ नर सकळ रौ, सतवादी सुभियांण।
नाहरसिंघ जसोल नै, कथै रंग कवियांण।।
~~श्री शक्तिदान जी कविया (बिराई)
संकलन – मंजू चारण
परमप्रतापी कवि हॄदय और चारणों के प्रति प्रेम और पूजा की हद तक आस्था रखने वाले आदरणीय नाहरसिंघ जी जसोल के विषय में आप सब जानते हैं। चारणों ने क्षत्रियों को हमेशा विरदाया, पर एक ऐसा क्षत्रिय जिसने अपना जीवन चारण भक्ति को समर्पित कर दिया, ऐसे पुज्य नाहरसिंघ जी के दर्शन करने का अभी तक अवसर प्राप्त नहीं हुआ है पर उनके साहित्य संवर्धन प्रेम और विद्वता से भिज्ञ हूं। कवि श्री शक्तिदान जी कविया द्वारा लिखा गीत आज उस वन्दनीय क्षत्रिय को समर्पित कर रही हूं। एक चारण पुत्री के लिए वे पितातुल्य है। जय माँ भटियाणी जी, जय माँ चाळकनेची जी जय माँ हिंगलाज।