नवसंवत्सर की शुभाकांक्षा

कुशल-क्षेम रह कुटुंब में, नेम-फेम नित-नित्त।
हरख-हेम हर घर हुवै, चैन-प्रेम हर चित्त।।
नव संवत्सर नेह रो, गेह-गेह ह्वै गान।
रोग देह सूं दूर रह, दखै एह गजदान।।
मही कोरोना मुक्त व्है, सुखी हुवै संसार।
अन्न-धन्न हर आँगणै, भरिया रहै भंडार।।
व्रत संयम बणियो रहै, अवनि न होय अधीर।
हृदय तेज ताजो रहै, साजो रहै सरीर।।
अडिग आन अरु बान रह, सखरो स्वाभिमान।
राष्ट्र-प्रेम रो रंग ले, हरखै हिंदुस्तान।।
घट में रंच न घात रह, संकट निठै समूळ।
कूड़-कपट कानो करै, निठैस नामाकूळ।।
कटे न बेटी कोख में, मरे न को बेमौत।
हर घर आँगन में हमैं, जगै ज्ञानमय जोत।।
राजनीति सुधरे रसा, दशा-दिशा बदळेह।
भाई-भतीजावाद सूं, ऊपर देश उठेह।।
जात-पांत री जकड़ री, अकड़ मिटे अबकेह।
सामाजिक सद्भावना, समरसता सरसेह।।
मेह हुवै धर मोकळो, धीणा-धान धपट्ट।
हरी भरी वसुधा हुवै, थाट एह थळवट्ट।।
मनमेळू साथी मिलै, बिन स्वारथ व्यवहार।
नयै साल में नह हुवै, हेत-प्रीत री हार।।
बूढाँ रो वसुधा बधै, सदा मान सम्मान।
पूत कपूत न नीसरै, मिटै न कुळ री कान।।
मानवता पसरे मही, दानवता दूरेह।
रह परकत रळियावणी, नवलो विगसे नेह।।
~~डॉ.गजादान चारण ‘शक्तिसुत’