नैणां उडगी नींद

लूट लूट घण लालची, भरिया भ्रष्ट भँडार।
लेखै धन लाली गयो, हिरदै हाहाकार!!1
काल़ी कर करतूतियां, धुर घर सँचियो धन्न।
सो तो हुयग्यो धूड़ सम, हुई सो जाणै मन्न!!2
वीसलदे ज्यूं बावल़ां, ऊंडो धरियो आथ।
खायो नकोज खरचियो, विटल़ां रखी न बात!!3
कण घण सँचिया कीड़ियां, खट चुग तीतर खाय।
पापी वाल़ो पेखलो, जर तो परल़ै जाय!!4
पैला धन तो पाप सूं, बाथां लियो बुहार।
अब उणनै ऐढै करण, लटका ले लाचार!!5
धत्ता दे घण धूरतां, दत्त चित लाट्या दाम।
पत्थर समोवड पाप धन, नरपत कियो नकाम!!6
खाय कमीशन खाटियो, सठ हद लीनी सूक।
जिणरै ऊपरै जोयलो, आफत पड़ी अचूक!!7
देखो डाफाचूक री, आफत पड़ी अचाण।
भ्रष्ट फिरै तज नींद भल, हुइया हाणोफाण!!8
पैल कमावण पाप धन, बणिया भ्रष्टां बींद।
ज्यांरी तो आ जोयलो, नैणां उडगी नींद!!9
~~गिरधर दान रतनू दासोड़ी