नेता – नीति

।।दूहा।।
लेता सोई लाधिया, देता ना कछु देख।
लाय बैता लगावणा, ऐ नेता धर ऐक।।1
सबद गोळा सरकावणा,जण-जण दोळा जार।
भोळां नैं भरमावणा,धोळा- चोळा धार।।
।।छन्द – त्रिभंगी।।
धारै धक धोळा चंगा चोळा, बदळै खोळा नित बोळा।
जन-धन सूं झोळा भरै सबोळा, करै ठिठोळा ठग भोळा।
रुळपट कर रोळा करै किळोळा,कुरसी दोळा फिर केता।
मन रा ज मलीणा है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।1।।
कर चेली चट्टा चोर चपट्टा, सै नककट्टा संगै सही।
धर्मधार दुपट्टा करै कपट्टा,जनमत झट्टा झपट लही।
दिन दोय दपट्टा कर धोपट्टा, फेर फणाटा बा देता।
मन रा ज मलिणा,है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।2।।
ऊंचै चढ आसण भाखै भासण,जन-जन फासण कौल झरै।
हर बोल हुलासण दे असवासण, कुबधी सासण जुगत करै।
बक विद्या कासण ,ले निज रावण,बीजां बासण भंज बेता।
मन रा ज मलिणा,है लजहीणा,नाग सपीणा ऐ नेता।।3।।
भाळो भ्रष्टाचारी अत्याचारी, स्वेच्छाचारी पेख परा।
बणिया ब्रह्मचारी निरखै नारी,खळ नित जारी करत खरा।
तसकर रा यारी करो तुमारी,बडा जुवारी है जेता।
मन रा ज मलिणा,है लजहीणा,नाग सपीणा ऐ नेता।।4।।
सखरा जन खळिया इण मग पुळिया, इधका सळिया व्है अळिया।
बीजां पख पळिया ,दे दे मळिया, छाती तळिया व्है छळिया।
दीठा दळदळिया छिन बे दळिया,रिपु संग रळिया मिळ बेता।
मन रा ज मलिणा है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।5।।
मन मत रा माङा देश बिगाङा,घर-घर फाङा ऐ ज घतै।
पेखो परवाङा खेल अखाङा, फेर खिलाङा करत फतै।
लागै लंगवाङा धारण धाङा,करै कबाङा फिर केता।
मन रा ज मलिणा है लजहीणा,नाग सपीणा ऐ नेता।।6।।
बहु लेलनवादी बण जनवादी, कई संघवादी सांग करै।
फगडाल फसादी,ऐ अपराधी,के कुचमादी जुलम करै।
धारै तन खादी, गाँधीवादी,सुरा सुवादी है जेता।
मन रा ज मलिणा ,है लजहीणा,नाग सपीणा ऐ नेता।।7।।
पद रा पीपासी अरथ उपासी, तवां मिरासी बोस तणा।
मूंडै मिठभासी धीर बंधासी, मन हरजासी नको मणा।
स्वारथ संध जासी पळटै जासी,ऐ ज बिसासी है ऐता
मन रा ज मलिणा, है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।8।।
आंसू ढळकावै दांत दिखावै, पग पङ ज्यावै काम पङी।
लज्ज लेस न लावै ना सरमावै, बात बणावै बङी बङी।
घट घात न जावै गुण बिसरावै, सकव बतावै तथ सेता।
मन रा ज मलिणा है लजहीणा,नाग सपीणा ऐ नेता।।9।।
।।छप्पय।।
चोर चुगल बाचाल, मीत तस्कर रा मानो।
जद रूठै जगदीश, पङै इयां सूं पानो।
(तो) झट कानो कर जाय,विपत इम फेर बधावै।
संपत में कर सीर,अहर निस घणा अदावै।
नीत रा चोर भाळो निपट, रीत बिगाङा राज रा।
काज रा कछु नाही कदै, (ऐ) आखूं नेता आज रा ।।
~~कवि गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”
सन्दर्भ: छंदां री छौल़
Jai Mataji Kaviraj
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