नेता सूं रखजै मत यारी!

नेता सूं रखजै मत यारी!
प्रीतम नै कैवै सत प्यारी!!
नेता लेता केवल स्वामी!
देतापण री ना लत धारी!!
जन नै केवल छल़णो जाणै!
अणफट ऊपर है खत भारी!!
झड़ै झांसां पोयण हरदिस!
फसै जकां री है मत मारी!!
मीठा बोल चुनावां बोलै!
जीत्यां हरलै ऐ पत थारी!!
निज रै मतल़ब दांत दिखावै!
सरियां कारज है कथ न्यारी!!
हाथ हाथ हल़बाणी अंतस!
मंचां ऊपर रस बत सारी!!
दूजा कांई मांगै बोलो!
खरी कमाई रिस्वत आंरी!!
आदर्श नै तो ऊंचो टेरै!
मारै मोको ऐ हथ भारी!!
विचारधारा नै कांधै राखै!
पटकै पाधर कर चित खारी!!
धंतरसिंग तो पच पच मुवा!
पूगन सकिया गम गत आंरी!!
~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”