पोकरपुरी बाबै रो छंद

लगै टगै उनीसवैं सईकै रै पूर्वार्द्ध मे रातङिया (बीकानेर) मे पोकरपुरी बाबै रो आगमन हुयो। रातङियै गांव में धोरै माथै बाबै आपरो आसण जमाय धुणी रमाई। अठै ई बाबै जीवत समाधि ली। जैङो कैयो गयो है –

तरवर सरवर संतजन, चौथो बरसत मेह
परमारथ रै कारणै, च्यांरी धारी देह

ओ दूहो पोकरपुरी बाबै रै लोकोपकारी कामां नै सुणर साच रो साखीधर लागै। कई जनहित रा किस्सा लोकमुख माथै अवस्थित है। बीकानेर रै आथूणै भांयखै मे इण संत रै प्रति घणी आस्था है। इणी आस्था रै पाण खासै समय पैला रचित एक छंद आपरी सेवा मे

बाबा विरदाळाह,पंथ उजाळा भोम पर।
जोगी जटियाळाह, प्रतपाळा पोकरपुरी।।

अबकी मे आबा अवस, हर कज ठाबा हेल |
ताबादार नै तारबा, बाबा करै उबेल।।

तन पीङा तोङै तुरत, सुद्ध मन सूं जन सेव|
धिन पख रै मोटा धणी, दिन सुभ देवै देव||

थपियो धोरै थान थिर, जपियो हर हर जाप|
अरप्यो तन भगती अटळ, तपियो भारी ताप||

छंद त्रिभंगी
तज मोह संसारी तूं तपधारी, तपियो भारी ताप तदम
देखै दुखियारी हर दुख हारी, जोर विचारी दया जदम
प्रणमै नर नारी आय अपारी, साद उवांरी तुरत सुणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै १

शंकर अनुगामी हे बड स्वामी, पंथ दसनामी पुरी वरै
नित काज अमामी रट घण नामी भू सत हामी आज भरै
जय जय जगजामी तनै नमामी प्रभता पामी कूण पुणे
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै २

धोरै धर ध्यानम थपियो थानम भज भगवानम गुणगानम
महियळ बड मानम संत सुजानम निर अभमानम जग जानम
अरजी सुण कानम करण उथानम भाणव गानम ऐम भणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै ३

रातङिये वाळा वंदु बडाळा रह रखवाळा रिछपाळा
पातां पखवाळा देव दयाळा पंथ उजाळा प्रतपाळा
आवै उंताळा तूं जग जाळा लंब हथाळा हेर हणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै ४

आंणद उजियाळा कर किरपाळा आव उपाळा अनुरागी
जोगी जटियाळा हे मुगटाळा वहा बडाळा वैरागी
अरियण ऊथाळा साद संभाळा मन सुद्ध माळा तोर मुणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै ५

बांझ्या बह आवै सुजस बणावै दास रीझावै दुखियारा
चटकै अपणावै वंश चलावै,पूत खिलावै घण प्यारा
हिवङो हुलसावै मोद मनावै जग विरदावै साच जणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै ६

गुणियण गुण गावै पह सुख पावै सदा उमावै सचियाळा
तन रोग मिटावै कष्ट कटावै विघन हटावै विरदाळा
देरी नह लावै अब इण दावै गढवी द्यावे आस घणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै ७

हे भगमाधारी परचा भारी वरण संसारी केम सकै
स्वामी तूं म्हारी जाणै सारी राज हमारी लाज रखै
अब सरण तिहारी बाळ उबारी गुण गिरधारीदान गुणै
अरजी सुण आबा लाज रखाबा, पोकर बाबा भीर बणै ८

कवत्त
ऊजळ धोरै आप, थिर सिंघासण थापै
हर में ध्यान हमेस, जाप जोगेसर जापै
तापै जग नै त्याग, अवन पर भेख उजाळा
होवे न दुजां होड, जबर जोगी जटियाळा
सताबी साद संतां सुणै ,दु़ख मेटै तूं डोकरा
गुणमाळ रटै कवि गीधियो, पुरी नमो तुझ पोकरा

~~गिरधर दान रतनू “दासोडी”

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.