रांमदेव जी रा दूहा – उदयराज जी उज्जवल

तुंवर मो तारेह, आंख सुधारै ईसवर।
थेटू श्रण थारेह, रैणव वसिया रांमदै।।१।।
तै दीधा कर तोय, पीळा आखा पातसा।
सिंढायच कुळ सोय, आदू शरणै आपरै।।२।।
परी मटाडै पीड, दे जोती आंखां दुरस।
भांणव पडतां भीड, आव मदत अजमाल रा।।३।।
तुं साचौ किरतार, दुःख मेटण प्रगट्यौ दुनि।
वीगरी कर वार, अबखी पुळ अजमाल रा।।४।।
वीदग बारंबार, करुणानिधि वीणत करै।
तार किसन अवतार, मात पिता तु रामदे।।५।।
मेटो संकट मोर, अबखी पुल़ अजमाल रा।
तूंवर कीरत तोर, रटां निरंतर रांमदे।।६
मेटण दुख म्हारौह, आव बेल अजमाल रा।
थेटूं व्रिद थारोह, रंक सहायक रांमदे।।७
रूणेचे रौ राव, आरत री सुणजै अरज।
आव आव झट आव, करौ बेल रांमा कंवर।।८
अस लीलो असवार, धोल़ी धज वाल़ा धणी।
रांमा राज कंवार, करुणानिध ओपर करौ।।९
परगटियौ तूं पीर, मेटण संकट मांनवां।
वीरमवाल़ा वीर, रीझै तूंवर रांमदे।।१०
देवे देश विदेश, तूं परचा नित पातसा।
काटे मोर कल़ेस, रीझे तूंवर रांमदे।।११
पड़ां तिहारै पाव, शरणे री राखे शरम।
रूणेचा रा राव, करे बेल रांमा कंवर।।१२
वीणत बारंबार, करुणानिधि थारां करां।
बाबा बिरद बिचार, रीझो तूंवर रांमदे।।१३
बाबा बिना विलम्ब, मेटो संकट माहरौ।
आप एक अवलंब, अबखी पुल़ अजमाल रा।।१४
जगरा जीव जरूर, पग पग पर चूका परा।
कीधा एम कसूर, करे माफ रांमा कंवर।।१५
मदद करौ महाराज, सबल़ा धणी समाद रा।
अबखी विरियां आज, रुखवाल़ौ तूं रांमदे।।१६
अजमल घर अवतार, परगटियौ तूं पाल़णे।
वर नेतल रा वार, करौ वेग रांमा कंवर।।१७
मैणादे माताह, हालरियै हुलरावियौ।
तूंवर जग त्राताह, करौ बेल रांमा कंवर।।१८
‘ऊजल़ ऊदो ‘आज, कर जोड़े वींणत करै।
मो उपर महाराज, रीझो तूंवर रांमदे।।१९
~~उदयराज जी उज्जवल