रे फूलों रा राजवी
रे फूलों रा राजवी, गाढा रंग गुलाब।
दरस परस दोनूं कियां, दुख दे मन रा दाब॥1
गहरा फूल गुलाब जी, आयौ थारे पास।
आणँद मन नें आपजै, मन मत करे निराश॥2
गहरा फूल गुलाब रा, कंटक मँह आवास?
सबरो घर सुरभित करे, पण खुद ने दे त्रास।3
कांटा सूं घिरियौ कियां, गाढा फूल गुलाब।
थारी रखवाळी करे, माळी सिंच’र आब॥4
गाढा रंग गुलाब किम, हरियल पान नकाब।
करियो धारण केवजै, अनुपम मुख नें दाब॥5
गाढा फूल गुलाब पर, भमरा भटकै रोज।
माळी तो जाणै नहीं, अर मिनखां रे मोज॥6
माळी सिंचै सौ घडा, कर कर जतन गुलाब।
तो पण उणने तोड सी, जबरो लेख जनाब।7
फुले सो करमावतौ, जायौ सो मर जाय।
गहरो फूल गुलाब पण, सुरभित रहै सदाय॥8
~~नरपत आसिया “वैतालिक”