साम्हो लड़्यो शैतान

बाणासर री वीर भू, मरटधारी नर मान।
दीठो जग सह दाखलो, सांप्रत जदु शैतान!!1
पाधर पग रोप्या सुपह, सज धर राखण शान।
चीन -हीण दल़ चींथिया, सज रण सूर शैतान।।2
आडा नित उतराध रै, जाडा धिन जदुरान।
एकर कथ पाछी अवस, साच करी शैतान!!3
आडा रह्या कपाट इम, अरि दल़ थँभण अचान।
पुनि कहावत रोप पग, सच रण रचि शैतान!!4
हिमगर हुतो निचीत हिव, धुर शिव लगतो ध्यान।
सांसै जुग पड़िया सही, सुरग वाट शैतान।।5
राखी रजपूती रसा, है साखी हिंदवान।
मजबूती सँग्राम मंझ, सतधर रचि शैतान!!6
गड़गड़ गोल़ा गूंजिया, गायो अपछर गान।
वरण अरी -घड़ बींदणी, सज वर वण्यो शैतान।।7
दाबण दोयण हिंद धर, उतर्यो चीन अचान।
सधर धरा कज सूरमो, साम्हो लड़्यो शैतान!!8
कीरत खाटी कमर कस, भाटी कुल़वट भान।
रजवट कट साची रची, सतधर रँग शैतान।।9
आंगण रण लड़ियो अडर, पेख करण जस पान।
धरण रुखाल़ी धाक- बल़, सज दल़ बिन शैतान!!10
वर बणियो धिन वडम नर, जँग तणियो बिन जान।
माण बधायो मात रो, साहस धर शैतान!!11
~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”