संत फकीर मलंग शिवागिरि

SantFakeerMalangGiriमस्त जटी मन बैठ मढी मह बांसुरि खूब बजाय रह्यो है।
हाथ कडा पहने नित धूरजटी शिव आप रिझाय रह्यौ है।
साधक औ सुर रो शिव सेवक तानन सूं कछू गाय रह्यौ है।
आतम ने कर कृष्ण मयी परमातम राधा रिझाय रह्यौ है॥

सुंदर मोहनि मूरत बांसुरि, फेर लियां अधरां सुखकारी।
मस्त बजाय रह्यौ जिम मोहन, औ शिव है वृषभानु दुलारी।
आप बिना नह आश्रय है रख लाज हमार सुणौ जटधारी।
संत फकीर मलंग शिवागिरि पांव पडूं सुण हे अलगारी॥

तान घणौ गुलतान बणै मधुरी यह बेणू बजावत है रे।
कृष्ण बणे खुद शंकर- मीराज जोगण को चित्त ध्यावत है रे।
नाचत है निज ही मन कुंजन औ संग रास रचावत है रे।
बात अनूपम आप तणी मन देख  थनें हरसावत है रे॥

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.