सतगुरु माग सुधार दे

आज गुरु पूर्णिमा रै दिन ज्ञात-अज्ञात उण तमाम श्रद्धेय गुरुजनां रै श्रीचरणां में सादर वंदन। कैयो जावै कै दत्तात्रेय चौबीस गुरु किया।कविराजा बांकी दासजी तो अठै तक लिखै कै जितरा माथै में केस है उतरां ई उणां रै गुरु-‘बंक इतियक गुरु किए,जितियक सिरपर केस।’आपांरै अठै गुरु नैं गोविंद सूं बधर बतायो गयो है अर्थात ईश मिलण रै मारग रो माध्यम ई गुरु है।
आप सगल़ै जोगतै शिष्यां नैं पावन गुरु पूर्णिमा री अंतस सूं बधाई अर गुरुवां रै चरणां में पांच छप्पय भेंट-
वदै जगत गुरु ब्रह्म,सदा गुरु शंभ सुणीजै।
वसुधा गुरु ही विसन,परम ब्रह्म गुरु पुणीजै।
चाल ओट गुरु चरण,धरण भारत री धारै।
उरां धार उपदेश,सफल़ नर जनम सुधारै।
गुणी गीध ओट गहियै गुरु,बहियै सतवट वाटड़ी।
इण भांत सदा रहियै अभै,हेत तणी कर हाटड़ी।।1
गुरु बिन मिल़ै ग्यान,भल़ै मन ध्यान न भाई।
जोड़ण जुगती जाण,बाण उगत वरदाई।
भलै बुरै रो भान,कान कह गुरु करावै।
अंतस मेट अग्यान,दुरस सनमान दिरावै।
इहलोक अनै परलोक रो,सतगुरु माग सुधारणो।
सुण गीध कवी गुरुवर सदा,धिन चित चरणां धारणो।।2
गही जिकां गुरु ओट,छदम -छल़ लाऱो छूट़ो।
गही जिकां गुरु ओट,तिमिर हिरदै रो तूटो।
गही जिकां गुरु ओट,निपट मो -माया नासै।
गही जिकां गुरु ओट,पास जम रैसी पासै।
बुद्ध देय चित करदे विमल़,हेर हियै मल़ हारदे।
सुण गीध कवी साची सरब,सतगुरु माग सुधार दे।।3
पुणियै गुरु परणाम,बात इतियास बताई।
पुणियै गुरु परणाम,करण सीखी कविताई।
पुणियै गुरु परणाम,लेखणी गद्य लिखायो।
पुणियै गुरु परणाम,सार संगीत सिखायो।
मरम री बात अणहद मुदै,धिन बातां सद धरम री।
गरम चोट गुरुवर करी,भली मिटाई भरम री।।4
महर गुरु री मान,नेह देवै सब नाती।
महर गुरु री मान,सरस सनमान सँगाथी।
महर गुरु री मान,वडा नर छभा बोलावै।
महर गुरु री मान,सैण इक जीह सरावै।
कवी गीध गुरु परताप कह, (पण)भगती पूरब भाल़जै।
आगलो जनम करण उत्तम, (तो)पग गुरु प्रीति पाल़जै
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”