सीमाड़ो वीर रुखाल़ै है

अणभै है धरती भारत री,
सीमाड़ो वीर रुखाल़ै है।
लाय सूरज री ठंडी हीलां,
गात जोबन नै गाल़ै है।।
हिमाल़ै री ऊंची चोटी ,
बर्फ मांय पग रोप्या है।
मुरधर रै ऊंनै इण धोरां
वीर सजोरांं जोप्या है।
बिखमी री वाटा ले झाटां
वीरत सूं कीरत आ खाटी।
घांटी बा अरियां री भांगण
ऊभा है चढ घाटी-घाटी।
सिंघां री थाहर जा बड़ज्या
अड़ज्या ऐ नाहर बेराजी।
प्राणां री बाजी लगा बहै,
खांधै पर खांपण नित साजी।
भल !जिकी जामणी जाया ऐ!
पुरखां री रीत उजाल़ै है।
सीमाड़ो वीर रुखाल़ै है।।
विसर्या ऐ ममता माता री,
लाडी रा आंसू भूल गया।
भारत रो नाम उजाल़ण नै
मरबा नै सूरा फूल गया।
रणआंगण आभै जदै देख,
ओल़ां जिम गोल़ा वरस रैया।
जमराज नाच र्यो स्वागत में,
भेल़ा भिल़ दाटक हरस रैया।
खल़कै बै नदियां रगतां री,
झूलै जिण धारां जोध जठै।
मन -तन में दीसै मोद जबर,
उचरै हर-हर रो बोध जठै।
जामण री पाल़ै सीख मरण,
अरियां री फौज उथाल़ै है।
सीमाड़ो वीर रुखाल़ै है।।
बिखम भोम रा वासी ऐ,
वनवासी रावण रोल़णिया।
कुंदन सा निखर्या संकट में,
दुसम्यां री चूल़ां चोल़णिया।
ऐ देख देश रा लाडेसर,
आं सूं ई देश अखंडित है।
आंरै ई रगत पसीनै सूं,
भारत रो गौरव मंडित है।
भारत रो आंरै पाण देख,
जंग जीत घुरै नित डंको है।
जग सुजस साचोड़ी सोरम सूं,
वैर्यां रै मन में संको है।
चौकस ऐ ऊभा चौकी पर,
भिड़ण मोरचा भाल़ै है।
सीमाड़ो वीर रुखाल़ै है।।
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”