शब्दां वाल़ी चोट देखलै!!

माची दोटमदोट देखलै!
सिद्ध श्री में खोट देखलै!
मिनड़्यां वाट न्याय री न्हाल़ै!
बांदर छीनै रोट देखलै!!
गाय सुवाड़ी ठाण बंधी है!!
खेत उजाड़ै झोट देखलै!!
घड़ै चौपड़ै छांट पड़ै नीं!!
काल़ा तन पर कोट देखलै!!
तार -तार है रिस्ता नाता!
आम्ही साम्ही वोट देखलै!!
देख चुनावां उपड़ै मन में!
डोकरियै रै गोट देखलै!!
लोकतंत्र तरवारां रखदी!
शब्दां वाल़ी चोट देखलै!!
हक मांग्यां तो मिलसी भाई!
बंध्यां वाल़ो सोट देखलै!!
घर में ज्यांरै ऊंदर रमता!
बाल़क फाड़ै नोट देखलै!!
सूगलवाड़ै सैंग सरीखा!
कुणसो देवै फोट देखलै!!
किती योजना आई गई!
जनता अजतक ठोट देखलै!!
रोटी रा जांदा जिथ पड़ता!
बै भांगै अखरोट देखलै!!
जिग आजादी जपिया वांरै!
तन पर अजतक तोट देखलै!!
विपल्व रा नारा जो देता!
हिलर्या अब नीं होठ देखलै!!
~~गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”