राजस्थानी शब्दकोश प्रोजेक्ट डायरी


प्रोजेक्ट उद्देश्य: सम्पूर्ण राजस्थानी शब्दकोश को ऑनलाइन बनाकर इसकी मोबाइल एप तथा वेबसाइट बनाना

यहाँ इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित मुख्य घटनाओं को उनके होने की दिनांक के अवरोही क्रम में दर्शाया गया है।


दिनांक : १२ मई २०२० (जोधपुर स्थापना दिवस)

आज का दिन शब्दकोश प्रोजेक्ट के लिए नयी सौगात लेकर आया। आज इस प्रोजेक्ट को जोधपुर-मारवाड़ के पूर्व महाराजा एवं पूर्व सांसद श्री गजसिंह जी का संरक्षण प्राप्त हुआ जिन्होंने इस टीम का Patron बनना स्वीकार किया। उक्त Patronship में आज जोधपुर स्थापना दिवस के शुभ दिन निम्न संस्थाओं की एक संयुक्त प्रबंधन टीम (Management Team) गठित की गयी है:

  1. महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र (www.mmpprc.org)
  2. सोसाइटी फॉर रूरल इम्प्रूवमेंट (श्री-संस्थान) (www.srisansthan.org)
  3. चारण्स.ओर्ग (www.charans.org)
  4. किताब-क्लब(www.kitaab.com)

शब्दकोश प्रोजेक्ट पर संयुक्त रूप से कार्य करने के लिए उपरोक्त संस्थाओं के मध्य एक MoU निर्णित हुआ जिसके तहत सभी टीमों के कार्यक्षेत्र निश्चित किये गए। इस Management Committee की अध्यक्षता का दायित्व डॉ. लक्ष्मण सिंह राठोड़ (पूर्व महानिदेशक, भारतीय मौसम विभाग) ने स्वीकार किया। Management Committee के सदस्यगण इस प्रकार हैं:

  1. डॉ. लक्ष्मण सिंह राठोड़ – अध्यक्ष
  2. श्री जगत सिंह राठोड़ – सेक्रेटरी
  3. डॉ. महेंद्र सिंह तंवर
  4. श्री सुरेन्द्र सिंह लखावत
  5. श्री मनोज मिश्रण
  6. सुश्री स्नेहा चारण

Management Team के अतिरिक्त इस MoU में एक “भाषाविद समिति” भी प्रस्तावित की गयी जिसमे राजस्थानी भाषा के विद्वान् सदस्य होंगे और यह टीम Management Committee को परामर्श देने के साथ-साथ राजस्थानी के शब्दों एवं शब्दार्थों को प्रमाणित करने के लिए एक मानक संस्था की तरह कार्य करेगी। भाषाविद समिति के अध्यक्ष पद पर डॉ.आईदान सिंह जी भाटी को मनोनीत किया गया है। अभी इस समिति में सहमति मिलने के आधार निम्न नाम जोड़े गए हैं जिन्हें आगे और बढाया जाएगा।

  1. डॉ. आईदान सिंह भाटी – अध्यक्ष
  2. श्री सुरेन्द्र सिंह लखावत – संयोजक
  3. डॉ. भंवर सिंह सामौर
  4. डॉ. ज़हूर खान मेहर
  5. प्रो. गजे सिंह राजपुरोहित
  6. श्री गिरधर दान रतनू “दासोड़ी”
  7. डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
  8. डॉ. सुरेश साल्वी
  9. प्रो. लक्ष्मीकान्त व्यास

उक्त निर्णय से सम्बंधित समाचार राजस्थान-पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ जिसकी News-Cutting ऊपर संलग्न है। पढने के लिए News-cutting के ऊपर क्लिक करें।


दिनांक : २९ जनवरी २०२० (बसंत पंचमी)

आदरणीय विद्वजन,

भूमिका: भाषा मनुष्य के विकास का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। भाषा के माध्यम से ही मानव ने अपना सांस्कृतिक एवं भौतिक विकास किया है, किन्तु इसके साथ ही यह भी सत्य है कि मानव के विकास के साथ भाषा का भी विकास होता है। इस दृष्टि से दोनों का विकास अन्योन्याश्रित है। हमारे प्रदेश की राजस्थानी भाषा अपनी विविध बोलियों के साथ अत्यंत समृद्ध है जिसकी अपनी व्याकरण एवं शब्दकोश है, किन्तु यह सर्व सुलभ नहीं है क्योंकि आजकल युवा वर्ग पुस्तक सहेजने की जगह इन्टरनेट पर ढूँढने में अधिक सहज महसूस करता है। खुड़द में हुए साहित्यकारों के स्नेह मिलन समारोह में मैंने राजस्थानी शब्दकोष को इन्टरनेट पर ऑनलाइन करने का एक प्रस्ताव रखा था जिस पर मुझे ध्वनि-मत से स्वीकृति मिली थी। उसी कड़ी में आगे बढते हुए अब मै इस कार्य की रूपरेखा प्रस्तुत कर रहा हूँ। आप सभी से सहयोग एवं सुझाव अपेक्षित हैं। आप सभी की ओर से मायड़ भाषा राजस्थानी को यह एक नायाब एवं एतिहासिक भेंट होगी जो हमेशा हमेशा के लिए एक यादगार रहेगी और राजस्थानी भाषा प्रेमियों, कवियों, पाठकों एवं छात्रों के लिए एक बहुमूल्य उपकरण सिद्ध होगी। आने वाली पीढियां हमें इस कार्य के लिए याद रखेंगी।

ऑनलाइन शब्दकोश बनकर कैसा लगेगा इसका लगभग अंदाजा आपको गुजराती ऑनलाइन शब्दकोश “भगवद-गोमंडल” की वेबसाइट को देखकर लग जाएगा। इसके लिए आप यहाँ क्लिक करें

कार्य का परिमाण: राजस्थानी भाषा के शब्दकोशों के इतिहास में जाएँ तो भिन्न भिन्न विद्वानों द्वारा संकलित अनेक प्रकार के शब्दकोश मिलते हैं जैसे ‘पाइयलच्छीनाममाला’, ‘अभिधानचिन्तामणिनांममाला’, ‘अनेकारथी संग्रै’, ‘देसी सबद संग्रै’, ‘डिंगल नांममाला’, ‘नागराज डिंगल कोस’, ‘हमीरनांममाला’, ‘अवधान-माला’, ‘डिंगलकोस’, ‘अनेकारथी कोस’, ‘एकाखरी कोस’, ”एकाखरी-नांममाला’, ‘मान मंजरी’, ‘राजस्थानी सबद कोस’ इत्यादि। जैसे जैसे नए शब्दकोश बनते गए वैसे वैसे उनमे शब्दों की संख्या भी बढती गयी। सबसे बड़ा संकलन डॉ. सीताराम लालस द्वारा ‘राजस्थानी सबद कोस’ के नाम से 1962 में प्रकाशित हुआ था। 7772 पृष्ठों के इस वृहत शब्दकोश में कुल लगभग दो लाख शब्द हैं तथा राजस्थानी भाषा के व्याकरण एवं साहित्य की भी विस्तृत जानकारी है। इसके पश्चात इसी का छोटा रूप भी ‘राजस्थानी-हिन्दी छोटो सबदकोस’ के नाम से आया जिसमे शब्दों की व्याख्या छोटी है किन्तु शब्दों की संख्या अब तक के सभी शब्दकोशों में सर्वाधिक है। शब्दकोशों के उक्त समृद्ध इतिहास को मद्देनजर रखते हुए इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 2,50,000 शब्दों को ऑनलाइन करने का आंकलन है। ऑनलाइन करने के लिए सबसे पहले विभिन्न शब्दकोशों के शब्दों को डिजिटाइज़ करना होगा जिसके लिए डाटा एंट्री करने का एक ऑनलाइन तंत्र बनाना होगा जहां एक अधिकृत यूजर लॉग-इन करके शब्दों को टाइप कर सके। हर शब्द को अलग अलग भागों (मूल शब्द, शब्द प्रकार – संज्ञा, सर्वनाम इत्यादि, शब्दार्थ, उत्पत्ति, पर्यायवाची, मुहावरे, कहावतें, रेफ़रेंस, शब्द प्रयोग आदि) में तोड़ कर उनके लिए बनाये गए अलग अलग फील्ड में टाइप करना होगा जो काफी जटिल एवं समय लेने वाला कार्य है।

ओसतन एक व्यक्ति एक दिन में 100 शब्द तक की डाटा-एंट्री शब्द-विन्यास के साथ कर पायेगा ऐसा मेरा अनुभव के आधार पर आंकलन है। (2,50,000 / 100 = 2,500) अतः इस गति से एक व्यक्ति के लिए यह करीब 2,500 दिनों की डाटा-एंट्री का कार्य है। यदि एक वर्ष में हम 300 कार्यदिवस मान कर चलें तो (2,500 / 300 = 8.3) अर्थात एक वर्ष में 300 कार्य-दिवस के आधार पर एक व्यक्ति के लिए यह कार्य लगभग 8 वर्ष का है और इसी आधार पर यदि 8 व्यक्ति इस कार्य को एक साथ करें तो वे इसे एक वर्ष में पूर्ण कर सकते हैं।

डाटा-एंट्री होने पर उसे एक-दो बार एडिटिंग / प्रूफ रीडिंग करके प्रमाणिक करना होगा। तत्पश्चात इसके ऑनलाइन-शब्दकोश का सॉफ्टवेयर बनेगा तथा इसकी मोबाइल एप (एंड्राइड और आईफ़ोन पर) बनेगी।

खर्च का आंकलन: 8 लोगों की एक वर्ष की सैलेरी @15000/- प्रति माह प्रति व्यक्ति (कंप्यूटर तथा ऑफिस/सीट खर्च सहित) के हिसाब से 12 लाख रुपये तथा सॉफ्टवेयर (ऑनलाइन वेब एवं मोबाइल एप) बनाने का समस्त व्यय लगभग 2 लाख रुपये और होस्टिंग सर्वर/बैंडविड्थ इत्यादि को मिलाकर लगभग 15 लाख रुपयों का समस्त प्रोजेक्ट खर्च का मेरा आंकलन है।

तकनिकी फील्ड में मैं पिछले 28 वर्ष से सेवारत हूँ तथा देश विदेश में मैंने बड़े बड़े प्रोजेक्ट किये हैं उस नाते मुझे अपने आंकलन पर पूर्ण विश्वास है फिर भी मेरा भरसक प्रयास रहेगा कि इस प्रोजेक्ट को जितना हो सके कम से कम व्यय करते हुए पूर्ण करूं। यदि इसमें कुछ भी राशि बच पायी तो उसका इस्तेमाल वेबसाइट को होस्ट करने के लिए सर्वर के किराये के रूप में तथा राजस्थानी भाषा के विकास से सम्बंधित ही किसी कार्य में समायोजित किया जाएगा।

कार्य योजना: अब 15 लाख की राशि जुटाने का कार्य सर्वप्रथम है। राशी बहुत अधिक नहीं है। यदि सिर्फ 150 दानदाता भी 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति सहायता करे तो यह राशि इकट्ठी हो जाएगी। यह ओसत आंकलन है। कोई इससे कम या इससे अधिक भी सहयोग करता है तो स्वागत है। अपनी श्रद्धा एवं सामर्थ्य के अनुसार आप अपने अंशदान का निर्णय करें। सहायता राशी भेजने के लिए आप हमारे सहयोगी NGO (Kitaab Club) के अकाउंट का इस्तेमाल करें। यह NGO, 80-G के अंतर्गत इनकम-टैक्स विभाग से छूट प्राप्त है अतः सहायता राशी की रसीद पर आप टैक्स रिबेट भी पा सकेंगे

बैंक से सीधे NEFT/RTGS द्वारा ट्रान्सफर करने के लिए निम्न अकाउंट डिटेल का उपयोग करें:

  • Account Name: Kitaab Club
  • Account Type: Current Account
  • Account Number: 35926343823
  • Bank Name: State Bank of India, Baran
  • IFSC Code: SBIN0010490

नेट बैंकिंग अथवा क्रेडिट/डेबिट कार्ड द्वारा ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए आप सीधे इस लिंक पर क्लिक करें  तथा “Donate Now” बटन दबाएँ।

इस ऑनलाइन-शब्दकोश-प्रोजेक्ट के बारे में किसी भी प्रकार के सुझाव आप हमें admin@charans.org पर मेल द्वारा अथवा नीचे कमेंट लिखकर भेज सकते हैं। आप सभी से प्रार्थना है कि अधिक से अधिक संख्या में इस पुनीत कार्य के भागीदार बनें।

इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित सम्पूर्ण जमा तथा खर्च का एक दिन पहले तक का हिसाब आप वेबसाइट पर कभी भी यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

प्रोजेक्ट से सम्बंधित सामान्य प्रश्नों अथवा जिज्ञासाओं (FAQs) के उत्तर पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

सादर आभार
e-Mail – admin@charans.org


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