राजस्थानी शब्दकोश ऑनलाइन प्रोजेक्ट – सामान्य प्रश्न अथवा जिज्ञासाएं (FAQs)

प्रश्न: डिजिटाइज़ करने और ऑनलाइन करने में क्या अंतर है?
उत्तर: डिजिटाइज़ करने का का अर्थ है किसी भी पुस्तक अथवा रचना को इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में बदलना और ऑनलाइन करने का अर्थ है इस पुस्तक के डिजिटल फॉरमेट को इन्टरनेट के माध्यम से आम जनता को उपलब्ध करवाना। यह डिजिटल फॉर्मेट एक पीडीऍफ़ फाइल की तरह भी हो सकता है जिसे कोई डाउनलोड कर ले तथा यह एक वेब पेज की तरह भी हो सकता है जिसे कोई भी बिना डाउनलोड किये सीधे ब्राउज़र पर ही पढ़ सके।

प्रश्न: एक शब्दकोश को डिजिटाइज़/ऑनलाइन बनाना एक सामान्य पुस्तक से बहुत अधिक खर्चीला एवं श्रमसाध्य क्यों है?
उत्तर: एक सामान्य पाठ्यपुस्तक को हम प्रथम पेज से पढ़ना शुरू करते हैं तथा एक निरंतरता से अंत तक पढ़ते जाते हैं। इसमें डिजिटल टेक्स्ट की जगह यदि स्कैन इमेज भी हो तो भी हम आसानी से पढ़ पाएंगे अतः सामान्य पुस्तक को डिजिटाइज़ करने के लिए सिर्फ उसे स्कैन या टाइप करना होता है और ऑनलाइन करने के लिए उसे सिर्फ इन्टरनेट पर सिर्फ पब्लिश करना होता है जो एक सीधी प्रक्रिया है। पाठ्यपुस्तक में किसी शब्द विशेष को ढूँढने की आवश्यकता नहीं होती अतः सिर्फ एक-दो पेज की विवरणिका (इंडेक्स) से काम चल जाता है।

इसके विपरीत, एक शब्दकोश को हम पाठ्यपुस्तक की तरह नहीं पढ़ते। शब्दकोश में हम पहले किसी शब्द विशेष को ढूंढते हैं तत्पश्चात उसका अर्थ पढ़ते हैं, अतः एक शब्दकोश को ऑनलाइन करने के लिए हर एक शब्द विशेष को उसके विन्यास के साथ डेटाबेस में फीड करके उसको ढूँढने (सर्च करने) का तंत्र विकसित करना जरूरी होता है। पूरा ही शब्दकोष ही अपने आप में एक इंडेक्स होता है। इस कारण शब्दकोष को मात्र स्कैन करके पीडीऍफ़ अथवा वेब पेज मात्र बनाने से उसकी कोई उपयोगिता नहीं रहती। इसकी साइज़ भी बहुत बड़ी होती है अतः पीडीऍफ़ को डाउनलोड करना भी व्यवहारिक नहीं होता।  इसीलिए एक सामान्य पुस्तक की अपेक्षा शब्दकोश को ऑनलाइन करना अत्यधिक श्रमसाध्य और चुनौतीपूर्ण कार्य है।

प्रश्न: क्या इस शब्दकोश में प्रोजेक्ट समाप्ति के पश्चात भी अतिरिक्त शब्दों को जोड़ने की व्यवस्था रहेगी?
उत्तर: हालाँकि प्रथम चरण में विभिन्न शब्दकोशों के संकलित अनुमानतः ढाई लाख शब्दों को ही जोड़ा जाएगा तथापि नए शब्दों को जोड़ने तथा पुराने शब्दों में भी और अधिक उदाहरण अथवा जानकारी जोड़ने की पूर्ण व्यवस्था रहेगी।

प्रश्न: इस प्रोजेक्ट की प्रस्तावित लागत 15 लाख में क्या-क्या कार्य सम्मिलित है?
उत्तर: 15 लाख की प्रस्तावित लागत में निम्न कार्य सम्मिलित हैं:

  • शब्दकोश के शब्दों को उनके विन्यास (मूल शब्द, शब्दार्थ, शब्द प्रकार – संज्ञा, सर्वनाम इत्यादि, उत्पत्ति, पर्यायवाची, मुहावरे, कहावतें, रेफ़रेंस, शब्द प्रयोग आदि) की अलग-अलग फील्ड में डाटा एंट्री करने एवं प्रूफ रीडिंग और एडिटिंग करने का ऑनलाइन तंत्र (सॉफ्टवेयर) विकसित करना।
  • शब्दकोशों को स्कैन करके OCR (Optical Character Recognition) की सहायता से पेज के स्तर पर डिजिटाइज़ करना।
  • इन डिजिटाइज्ड पेजों में से सभी लगभग 2,50,000 शब्दों को उनके विन्यास के अनुरूप तोड़कर उनकी डाटा एंट्री। यह कार्य सबसे अधिक समय लेने वाला कार्य है।
  • जो भी डाटा उपरोक्त व्यवस्था से ऑनलाइन अपडेट हो गया हो उसकी प्रूफ रीडिंग तथा एडिटिंग। यह भी काफी श्रमसाध्य कार्य है।
  • शब्दकोश की ऑनलाइन वेबसाइट को विकसित करना, जिसमे शब्द को टाइप करने एवं ढूँढने की व्यवस्था होगी और बटन दबाते ही शब्द का अर्थ उसके समस्त विन्यास के साथ डिस्प्ले होने की व्यवस्था होगी। रेफरेन्स के लिए आप देख सकते हैं गुजराती भाषा का शब्दकोश भगवदगोमंडल (क्लिक)। उक्त वेबसाइट भी इसी प्रकार की बनेगी।
  • शब्दकोश की एंड्राइड और आई-फ़ोन पर एक मोबाइल एप बनेगी जिसको आप अपने मोबाइल में इनस्टॉल करके कभी भी शब्दकोश का उपयोग कर पाएंगे। इसके लिए इन्टरनेट का होना अनिवार्य होगा।
  • कम से कम 2 वर्ष तक का इंफ्रास्ट्रक्चर (इन्टरनेट सर्वर तथा डोमेन) का किराया एवं रखरखाव भी इसी में अन्तर्निहित है। तत्पश्चात यह व्यवस्था ऑनलाइन विज्ञापन आदि के माध्यम से स्वपोषित हो जाएगी।

प्रश्न: क्या इस कार्य को सिर्फ वालंटियर्स के द्वारा ही नहीं करवाया जा सकता?
उत्तर: यह संभव है तथा इसकी पूर्ण कोशिश की जाएगी। जितना भी कार्य वालंटियर्स द्वारा हो सकेगा वो उन्ही से करवाया जाएगा और इस कारण जो भी रुपया बच सकेगा उसे भाषा विकास के ही मद में अथवा इंफ्रास्ट्रक्चर के किराए के लिए आगे की योजना में समायोजित किया जाएगा।

प्रश्न: क्या इस ऑनलाइन शब्दकोश एवं इसके तंत्र का कोई भी व्यावसायिक उपयोग होगा?
उत्तर: नहीं। यह प्रोजेक्ट पूर्ण रूप से राजस्थानी भाषा के शोधार्थियों, छात्रों, कवियों, साहित्यकारों, रचनाकारों एवं आम पाठकों के उपयोग के लिए है और इसका कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं होगा। इस तंत्र को ऑनलाइन उपयोग करने के लिए कोई फीस नहीं होगी।

प्रश्न: इस प्रोजेक्ट के लिए सहायता राशी किस अकाउंट में भेजनी होगी?
उत्तर: सहायता राशी भेजने के लिए आप हमारे सहयोगी NGO (Kitaab Club) के अकाउंट का इस्तेमाल करें। यह NGO, 80-G के अंतर्गत इनकम-टैक्स विभाग से छूट प्राप्त है अतः सहायता राशी की रसीद पर आप टैक्स रिबेट भी पा सकेंगे

बैंक से सीधे NEFT/RTGS द्वारा ट्रान्सफर करने के लिए निम्न अकाउंट डिटेल का उपयोग करें:

  • Account Name: Kitaab Club
  • Account Type: Current Account
  • Account Number: 35926343823
  • Bank Name: State Bank of India, Baran
  • IFSC Code: SBIN0010490

नेट बैंकिंग अथवा क्रेडिट/डेबिट कार्ड द्वारा ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए आप सीधे इस लिंक पर क्लिक करें  तथा “Donate Now” बटन दबाएँ।

प्रश्न: उक्त प्रोजेक्ट में हुए जमा-खर्च एवं कार्य की प्रगति की पारदर्शिता कैसे रखी जाएगी?
उत्तर: समस्त जमा-खर्च एवं कार्य की प्रगति को इसी वेबसाइट पर ऑनलाइन प्रदर्शित किया जाएगा जिसे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें। प्रोजेक्ट के आरम्भ से लेकर पिछले दिन तक के सारे आंकड़े हर समय यहाँ उपलब्ध रहेंगे।

प्रश्न: उक्त प्रोजेक्ट को यथासमय में पूरा करने की समयबद्ध योजना क्या है?
उत्तर: पूरी योजना को निम्न प्रकार से समयबद्ध किया गया था किन्तु वैश्विक महामारी कोरोना के चलते प्रोजेक्ट काफी समय तक रुका रहा अतः इसकी तारीखों में बदलाव आयेगा जिसे प्लान करते ही यहाँ दर्शाया जाएगा:

शब्दकोष के मुख्य पेज पर जाने के लिए क्लिक करें

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4 comments

  • Pawan Joshi

    श्री मान जी
    म्हारे कन पिसा तो कोनी पण आपणी भासा म काम करण गो बहोत मन है।
    मैं ओ लेवल गी डिग्री ले राखी है। कंप्यूटर गो भी खासा ज्ञान है।
    कंप्यूटर, इंटरनेट भी है। कोई भी भांत गो काम हुव तो बता दीज्यो।

    • Pawan Joshee

      मैं घर बेठ्यो ही काम कर सकू हूँ । इन काम र खातिर कोई फीस नहीं लेवूंला।

      • आभार पवन जी,
        आपरी मेल आइडी लिख ली है सा। अबार तो सारो काम तकनीकी आळो चाल र्‌यो छै। प्रूफ रीडिंग रो काम शुरू होतां ई आपने याद करांला।

  • Bhimsingh Charan

    आपके द्वारा किये गये इस महान कार्य की जितनी प्रशंसा की जाये कम है मै आपकी टिम को शुभकामनाये देता हूं माॅ भगवती आपको सफलता दे

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