शहीदां नैं चढा दिया थूक रा फगत दो आंसू

ओ कांई!! सदैव री गत
गादड़िया कद बड़ग्या
सिंघां री थाहर में?
मोत रै रूप!
आपां नैं ठाह ई नीं लागो!
सागैड़ी बात है भाईड़ां!
आपां तो अबकै ई
पीठ में छुरो खाय
भारत रै लालां रो
बगग बगग बहतै लोही रै
तूतियां रै गरमास सूं
झिझक र जागिया!
उठतां ई देखियो
भल़ै कोई अश्वाथामा रै रूप
ऊभो अट्टहास करै हो
पांचाल़ी रै पूतां नैं छीन!!
मचावै हो तडी
करै हो तांडव
अर पांडव कीं नीं कर सकिया!
फगत थूक रा आंसू पटकण
झींटिया झटकण
कै पूगिया
किसन री थल़कण
मसाणिया वैराग जतावण नैं।
पण कुण उघाड देखै हो?
कुरल़ावती
कल़पती एक बेसुध पड़ी
मा रै काल़जै
उठती होल़का नैं
कुण देखै हो फगत
चंवरी में लागोड़ो पाप!
उडावती काग
उडीकती मन रा मेल़ा करण नैं
कै अचाणचक पूंछीजग्यो
भाल में लागोड़ो सिंदूर
छायगी आंधी आंख्यां रै आगै
होयग्यो विडरूप वेश
देश री रुखाल़ी रै मारगां!
है किणी रै कन्नै काल़जो?
कै इण काल़जै री पीड़
उगटतो खार
भविस री गतागम नै
लख सकै?
जाण सकै इण दरद नै
बताजो इसड़ो
कोई मरद?
जिणमें होवै कोई आकूत
कै बो कूंत सकै
भारत रै बेटां री शहादत रो मोल!
जाण सकै उण घर री वेदना
जिण घर रो चिराग
दीपण सूं पैला ई बुझ ग्यो
आपांरी भोपा डफरायां रै कारण!!
होवै किणमें ई संवेदना?
कै हीमत
इतरो गज्जो
जिको बातां सूं नीं
हाथां सूं करतो होवै उपदेश!
देश री छाती ठारण नै।
जिको मानतो होवै
दुसमण नै दुसमण
आपरै बूकियां रै पाण
ले सकै इण
घाण मथाण रो बदल़ो
समझ सकै
इण गारत री कीमत
बिना स्वारथ रै
राजनीति रै रोग सूं
ऊपर उठ र।
पण हाल ई अपरतो है
क्यूंकै आपां तो
बणा लियो है रिवाज
लाज बेच
लाज रा बंधणा बेचण रो
इण कारण ई तो
नीं है शंको
कै आपां तो
बणा लीनी है परिपाटी
शहीदां नैं थूक रा आंसू न्हांख
याद करण री
श्रद्धांजलि रै मिस
संवेदना में समेट
दो गल़गल़ा आखर
कूकतै-कल़पतै
बापड़ा होयोड़ा
उण टाबरियां रा हाथां देवण री!
जिका नीं जाणै
आपांरी घातां रो अर्थ।
अर आपांनै देवदूत मान
कदै बापरी अर्थी कानी
तो कदै आपांरी
कूड़की झरती आंख्यां नै
देखता रैवै टुकर टुकर।
गादड़िया कद बड़ग्या
सिंघां री थाहर में?
मोत रै रूप!
आपां नैं ठाह ई नीं लागो!
सागैड़ी बात है भाईड़ां!
आपां तो अबकै ई
पीठ में छुरो खाय
भारत रै लालां रो
बगग बगग बहतै लोही रै
तूतियां रै गरमास सूं
झिझक र जागिया!
उठतां ई देखियो
भल़ै कोई अश्वाथामा रै रूप
ऊभो अट्टहास करै हो
पांचाल़ी रै पूतां नैं छीन!!
मचावै हो तडी
करै हो तांडव
अर पांडव कीं नीं कर सकिया!
फगत थूक रा आंसू पटकण
झींटिया झटकण
कै पूगिया
किसन री थल़कण
मसाणिया वैराग जतावण नैं।
पण कुण उघाड देखै हो?
कुरल़ावती
कल़पती एक बेसुध पड़ी
मा रै काल़जै
उठती होल़का नैं
कुण देखै हो फगत
चंवरी में लागोड़ो पाप!
उडावती काग
उडीकती मन रा मेल़ा करण नैं
कै अचाणचक पूंछीजग्यो
भाल में लागोड़ो सिंदूर
छायगी आंधी आंख्यां रै आगै
होयग्यो विडरूप वेश
देश री रुखाल़ी रै मारगां!
है किणी रै कन्नै काल़जो?
कै इण काल़जै री पीड़
उगटतो खार
भविस री गतागम नै
लख सकै?
जाण सकै इण दरद नै
बताजो इसड़ो
कोई मरद?
जिणमें होवै कोई आकूत
कै बो कूंत सकै
भारत रै बेटां री शहादत रो मोल!
जाण सकै उण घर री वेदना
जिण घर रो चिराग
दीपण सूं पैला ई बुझ ग्यो
आपांरी भोपा डफरायां रै कारण!!
होवै किणमें ई संवेदना?
कै हीमत
इतरो गज्जो
जिको बातां सूं नीं
हाथां सूं करतो होवै उपदेश!
देश री छाती ठारण नै।
जिको मानतो होवै
दुसमण नै दुसमण
आपरै बूकियां रै पाण
ले सकै इण
घाण मथाण रो बदल़ो
समझ सकै
इण गारत री कीमत
बिना स्वारथ रै
राजनीति रै रोग सूं
ऊपर उठ र।
पण हाल ई अपरतो है
क्यूंकै आपां तो
बणा लियो है रिवाज
लाज बेच
लाज रा बंधणा बेचण रो
इण कारण ई तो
नीं है शंको
कै आपां तो
बणा लीनी है परिपाटी
शहीदां नैं थूक रा आंसू न्हांख
याद करण री
श्रद्धांजलि रै मिस
संवेदना में समेट
दो गल़गल़ा आखर
कूकतै-कल़पतै
बापड़ा होयोड़ा
उण टाबरियां रा हाथां देवण री!
जिका नीं जाणै
आपांरी घातां रो अर्थ।
अर आपांनै देवदूत मान
कदै बापरी अर्थी कानी
तो कदै आपांरी
कूड़की झरती आंख्यां नै
देखता रैवै टुकर टुकर।
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”