शारदा स्तुति -प्रबीन सागर से

MataSaraswati

🍀दोहा🍀
बीन लीन वरदायिनी,बानि बरन विस्तार।
दीन मान सरसायिनी, जन सरनौ बिधितार।।

🍀सवैया🍀
बेद पुरान बतावत पावन,गावन बीन बजावनहारी।
पत्र मराल मृणाल चखी,सुदयालहि बाल विचच्छन नारी।
व्यापक विश्व जनी जस व्यापक,कापक ताप रसा रिझवारी।
शंकर सुरसुकै बरदायिनी,कीजै कृपा अति बालकुमारी।।

🍀श्लोक🍀
सरस्वत्योनमस्तुभ्यं या विद्या वरदायिनी।
क्रियतेत्वत्प्रसादेन प्रबीणसागरोमया।।

🍀भुजंग प्रयातम् छंद🍀
ओंकार प्रेमं प्रभा नाद बिंदा।
जयो मातुरा चातुरा भेद छंदा।
गिरा ग्यान गोतीत गूढं गनानी।
जयो पार विस्तारता वेद बानी।।१
महामोहनी सोहनी मोहमाया।
जयो जंत्रनी मंत्र तंत्रं उपाया।
गुनाकार ज्योती निराकार गत्ती।
जयो बोधना शोधना सारसत्ती।।२
दशं द्वादसं षोडसं चत्र शष्ठी।
जयो भिन्न रुपी कला पार द्रष्टी।
वदे जोग बादं मुनिंद्रं बिचारा।
जयो धारना कारना ध्यान धारा।।३
निरत्ती सुरत्ती प्रकृत्ती परेशां।
जयो मंडलाकार मध्ये प्रवेशा।
सबं व्यापितं थापितं बीज बाला।
जयोही प्रणव्वं यथा मंत्र माला।।४
महामंगला रूप माहेश सिद्धि।
जयो वैश्णवी इन्दिरा नेह निद्धि।
सदा ब्रह्म सावित्री सत्ता सुहानी।
जयो भारती सारती बाकबानी।।५
ऋषीराज आराधना ग्यान गूढा।
जयो गायका नायका हंसरूढा।
विपंचीरता पुस्तकं श्वेत वासा।
जयो बुद्धिदातार अंकं विकासा।।६
सुरी आसुरी किन्नरी पाय सेवे।
जयो द्रष्टी सें शारदा सिद्धि देवे।
कुमारी कला पूरना कामधेना।
जयो चंद्रबिंबा रती रूप मेना।।७
हसंती लसंती गले हार मुक्ति।
जयो कंज धारा दया सिंधु दुत्ती।
कृपा कीजिये दीजिये सुप्रगन्धा।
जयो चिंत चिंतामनी चारु कन्या।।८
कलप्पं लता इच्छितं सोइ पाऊं।
प्रबीनं कथा सागरं की बनाऊं।
रसन्ना मनं बास कीजै तिहारो।
जुकत्ती उकत्ती सबेही सुधारो।।९
पुरा प्रेम को पार कोउ न पावे।
तिहारे प्रसादें यथा बुद्धि गावे।।
~~प्रबीन सागर से

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