शतक बणे वा सतसई

( मेहाई सतसई – अनुक्रमणिका )

सतक बणे वा सतसई, ललित लेखणी काज।
सुरसत खुद भेजी स्वयं, मेहाई महराज।।१०५
सतक बणै वा सतसई, उणरी नी परवा ज।
म्है बस चाहूँ बोलणो, मेहाई महराज।।१०६
थळ जळ अर पातळ तथा, अतळ वितळ अधिराज।
सृष्टि सकळ संचालिका, मेहाई महराज।।१०७
नरपत मन तिरपत नहीं, कोटि कवित कथतां ज।
अनत प्रवाडा आप रा, मेहाई महराज।।१०८
लख-नव तारां सूं लसित, रात लोवडी राज।
धारण करणी धा वडी, मेहाई महराज।।१०९
किनियां रे जाई कुळां, ब्याही बीठू मांझ।
आई वरदायी नमो, मेहाई महराज।।११०
दरस कियां देशाणपत, मन ह्वै मस्त मिजाज।
सुकव तणी संजीवनी, मेहाई महराज।।१११
मात पिता बांधव सखा, सकळ कुटुम्ब समाज।
म्हारै तो मां आप हो, मेहाई महराज।।११२
किनियांणी करनल कहै, रिधू वळे तौ राज।
धिनियांणी जंगळ धरा, मेहाई महराज।।११३
मन उदधि मँह ऊछळै, आखर अनुपम आज।
लेखण तद ही लिख सके, मेहाई महराज।।११४
डाढाळी थूं डोकरी, बाढाळी बहतांज।
सदा बचावै संकरी, मेहाई महराज।।११५
भंजण शुंभ निशुंभ भड, गंजण अरियां गाज।
खबर लेवणी मां खरी, मेहाई महराज।।११६
टाबर भर आया नयण, देख’र करो दया ज।
करुणाळी किनियाण हे! मेहाई महराज।।११७
रोज रटंतो हूं रहूं, सुबह बपोरां सांझ।
साकर सा आखर सरस, मेहाई महराज।।११८
पांचाली रे पूरिया, वस्तर बणै बजाज।
मुरलीधर वा मां स्वयं, मेहाई महराज।।११९
हाकल दैतां री हुई, देव घणा डरिया ज।
सिंह चढी तद शंकरी, मेहाई महराज।।१२०
कुलडीयां तिरपत कियौ, शेखा दळ बळ साज।
वपु अनपूरण बिरवडी, मेहाई महराज।।१२१
पारथ रा रथ सारथी, हरि जिम भारत मांझ।
म्हौ पर इम मां रीझजो, मेहाई महराज।।१२२
खड खड खागां खडखडी, बही नाळ रगतांज।
भांज्या शुंभ निशुंभ भड, मेहाई महराज।।१२३
आयुध अनुपम ओपता, सजिया बगतर साज।
सिंह पलाणै शंकरी, मेहाई महराज।।१२४
लख नव लारे है खडी, चौसठ जोगण साज।
सिंह चढी है शंकरी, मेहाई महराज।।१२५
गरजत शुंभ निशुंभ घण, अंबर रव अग्राज।
चढौ सिंह अब शंकरी, मेहाई महराज।।१२६
चित तलफत चातक तणो, स्वाति बुंद रे काज।
इम आकुळ मन दरस कज, मेहाई महराज।।१२७
चरण कमळ में राखजो, मन मधुकर थें मां ज।
चहूं आपरी चाकरी, मेहाई महराज।।१२८
वडी थंभ वसुधा तणी, अवस आप अंबा ज।
झेलणहार जहान री, मेहाई महराज।।१२९
ठाकर वड मम थेट सूं, रहियां मां रिधु राज।
धणी धाबळी धारणी, मेहाई महराज।।१३०
राख्यौ जद सूं चाकरी, म्हनै आप माता ज।
नव निध निहचै सांपडी, मेहाई महराज।।१३१
राम नाम पाथर तर्या, आगै उदधी मांझ।
तूं इम भवदधि तारणी, मेहाई महराज।।१३२
“मे” कहतां महिमा वधै, “हा” सूं ठरै हिया ज।
“ई” आखर आणंद ह्वै, (कह)मेहाई महराज।।१३३
करूं कूक किनियाण मैं, रोऊं हूं रिधु राज।
माता म्हौ मन री सुणो, मेहाई महराज।।१३४
करणी मां किरपा करो, रहम करो रिधु राज।
दरस दयो देशाणपत, मेहाई महराज।।१३५
किनियांणी करुणाकरा, धजबंध मां धणियां ज।
मां जणियां मत बीसरै, मेहाई महराज।।१३६
झणण झणण पद झांझरी, रणण रणण रव बाज।
रास रचै सज आभरण, मेहाई महराज।।१३७
पग री बाजै पोलरी, ध्रूजै धणण धराज।
नव लख सँग मां नीसरी, मेहाई महराज।।१३८
तारा छायी रात री, धारी धाबळियां ज।
अनुपम छबि है आपरी, मेहाई महराज।।१३९
कुंडळीय कंकण करां, दामण हार हिया ज।
गरजन तरजन करधनी, मेहाई महराज।।१४०
किनियांणी करुणामयी, रहम ह्रदय रिधु राज।
दया करण देशाणपत, मेहाई महराज।।१४१
मन मंदिर देशाणमढ, रहियो राज बिराज।
अरजी आई आपनें, मेहाई महराज।।१४२
ग्वाड गाँव अर गुंदरै, बैठी गढां मढां ज।
राखण पत रजथान री, मेहाई महराज।।१४३
देह करो देशाणधर, मन ने करो मढांज।
बस अंतस पावन करो, मेहाई महराज।।१४४
भवाटवी हूँ भटकियो, लाधी लडथडतांज।
म्हानै सांची मावडी, मेहाई महराज।।१४५
रावण रण मँह रोळियो, रखण विभीखण राज।
रघुवर वह रिधु मां स्वयं, मेहाई महराज।।१४६
थानक थळ थळ थापिया, मढ तौ घर घर मांझ।
कण कण कीरत तौ कथे, मेहाई महराज।।१४७
कलिमल नें जिम काटती, दिल रा देवपगा ज।
इम मन कालिख मेटणी, मेहाई महराज।।१४८
सरस नाम संजीवणी, सुण जीवै मुडदांज।
रट रे मन थूं रात दिन, मेहाई महराज।।१४९
मुद्दल म्हारी मावडी, वळे आप हो व्याज।
ढबूपियौ अर रूपियौ, मेहाई महराज।।१५०
देह तणे देवळ मही, मन रा मढ रे मांझ।
जगमग जोती जळहळै मेहाई महराज।।१५१
~~वैतालिक

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