🍄शिवाष्टक🍄- श्री जोगी दान जी कविया सेवापुरा

।।छंद भुजंगी।।
शिवा आवड़ा रूप ते सृष्टि जाणी,
शिवा ऊगतै भाण पै चीर ताणी।
शिवा सोखियो हाकड़ो नाम सिन्धू,
शिवा प्राण दे सोखियो मृत्त बन्धू।१।
शिवा बैचरा रूप तू दुष्ट मारे,
शिवा कूकड़ा रूप तू पेट फारे।
शिवा अधर्मी नराँ नै सीख दीनी,
शिवा बात विख्यात तैं विश्व कीनी।२।
शिवा कामही रूप तैं नाम पायो,
शिवा लाखणा भूप पै क्रोध लायो।
शिवा श्रोण संचारताँ बात खारी,
शिवा बैण ऊचारताँ देह जारी।३।
शिवा बिर्वड़ा रूप तैं विश्व भ्राजै,
शिवा राण हम्मीर पै हेत राजै।
शिवा नौघणाँ नूतिया कूल्हड़ी में,
शिवा चक्खड़ाई जिमाई घड़ी में।४।
शिवा राव पै आवती बीज रोकी,
शिवा कान पै धावती मौत झोकी।
शिवा सम्भली़ रूप मुल्तान धाई,
शिवा पुत्र बैकुण्ट से जाय लाई।५।
शिवा बैहरी बिव्वराँ बीच भासै
शिवा श्रेणी व्है सेवगाँ त्रास नासै।
शिवा बैजू बिवाह को जोग टाल्यो
शिवा तू हिमा भाकराँ गात गाल्यो।६।
शिवा आगरै राजला रूब रूठी,
शिवा केहरी रूप हुँकारि ऊठी।
शिवा रोज नो शाह को मान मार्यो,
शिवा हिन्द का भूपत्या फंद टार्यो ।७।
शिवा रूप गीगाय तू गाय राखी,
शिवा वत्स मृगेन्द्र भो हिन्द साखी।
शिवा आज औतार तू इन्द्र बाई,
शिवा जोगियदान ये स्तुति गाई।८।
~~श्री जोगी दान जी कविया सेवापुरा
(श्री भूदेव जी आढा द्वारा प्रेषित)