।।शिवाष्टक।। – कवि जगमाल सिंह “ज्वाला” सुरतांणिया कृत

Mahadev

🌺दोहा🌺
अंग पर सौहे आपरे.भोळा अंग भभूत।
थान मसोणे थरपियो.आद नमो अदभूत।।1।
विषधर गळ में विटीयो,शशिधर आप सदैव।
गंगा खोळे गड़गड़े,सूर गण नितप्रत सेव।।2।
भोळा सुणजो भाव सू,जटधारी जरूर।
अरजी एक अनाथ री,दाळद करजो दूर।।3।

🌺छंद🌺
नहचे अधनंगा शिखर उतंगा आसन चंगा अवतारी।
पीयत घण पंगा गिरजा गंगा भूत भडंगा भयहारी।
लगताय लफंगा जट सिर जंगा प्रेत पिचंगा रूप बणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।1।

गळहार भुजंगम भभूतिय अंगम शोभित नंगम शुभकारी।
चक्षु शिव संगम विकट विहंगम जाणत जंगम जटधारी।
भभके मुख भंगम चढ़ी तरंगम अंगम अंगम तेज तणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।2।

करती नद कळळळ गंगा गळळळ ढळती ढळळळ गाज करे।
पळके जळ पळळळ हीर ज्यो हळळळ घळळळ वहती घोघ झरे।
खळके सिर खळळळ भोळो य भळळळ पळळळ शशिधर तेज पणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।3।

सांपो रा टोळा घणा सपोळा काळा धोळा पास फरे।
धधकार धकोळा जहर झकोळा ओळा दोळा राज करे।
धरणी धमरोळा कान खजोळा बिच्छु टोळा देख बणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।4।

घण भांग धतूरा पी भरपूरा घोरम घोरा नाच नचे।
अलमस्त अधीरा धारे न धीरा गजब गंभीरा देव जचे।
सूरो में सूरा क्रोध करूरा पूरा पूरा दैत्य हणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।5।

हँस हँस विष हड़ड़ड़ गटकत गड़ड़ड़ अमी ज्यो अड़ड़ड़ आप अपे।
खेंचत जद खड़ड़ड़ धरणी धड़ड़ड़ कड़ड़ड़ पीठ कमठ कपे।
सोषे जळ चड़ड़ड़ दरीयो दड़ड़ड़ मड़ड़ड़ महीपत रोष मणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।6।

त्रिशूळो तणणण बाजेय बणणण गगने गणणण नाद गजे।
घूँघर पद घणणण ठणके ठणणण भणणण भेरीय बाज बजे।
कंदोरा कणणण झणणण खणणण बणणण बणणण नाद बणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।7।

केलाशम वाशी हे अविनाशी मेट चोरासी मतवाळा।
संपत सुख राशि भेट करासी प्रगट प्रकाशी प्रतपाळा।
“जगमाल” जरा सी दुख मत आसी गुणड़ा गासी आप घणे।
घण गंग झकोळा हरदम खोळा भोळा भोळा नाम भणे।।8।।

🌺कळश छप्पय🌺
नाम भणो नितरोज.राखो भगत रुखाळा।
नाम भणो नितरोज.पाण रखो प्रतपाळा।
नाम भणो नितरोज.झाड़ जगत जंजाला।
नाम भणो नितरोज.आवो आप उताळा।
नितप्रत भोळा तूझ नमो,दुख दारिद संकट दळो।
कर जोड़ कवि”जगमाल”कहे,शंकर अरजी सांभळो।।

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