ॐ श्री शिवाष्टक ॐ
छंद- मोतीदाम
दूहा
बम शिव निखिल ब्रह्माँड बिच,अणहद ओम अखण्ड ।
नभ थळ पावक पवन जल ,परिलखि पुंज प्रखण्ड ॥१॥
निर्गुण नाथ निरंजना , सेवित सगुण स्वरूप ।
सत शिव सुंदर ज्योतिमय,छविमय प्रतिमय रूप ॥२॥
जनक जीव पाळक जगत , संहारक संताप ।
भगत उधारक भोळियौ ,भव तारक भय ताप ॥३॥
दिव्य अलौकिक लोकमय,प्रबल प्रचंड प्रशांत ।
भव्य भयंकर भाषितम् , जोगि जती विक्रांत ॥४॥
शुभ करणा हरणा कळुष, उर भरणा उजियास ।
निर्झर झरणा सरस मन , तव शरणा शिव दास ॥५॥
छन्द : मोतीदाम
जटा सिर जूट घटा घन घूट
अखंड अनादि अभेद अखूट
गळै मणिनाग मथै रजनीश
नमो शिवराज नमो जगदीश ॥१॥
नमै नवनाथ स जोगि जती ज
नमै नत भूधर सूर सती ज
नमै रघुराज नमै यदुराज
नमै तव मानव देव समाज ।।२॥
विराजत गंग जटा जुट शीश
हलाहल पीय भयौ जगदीश
अनंगन भंजन पापरि त्राण
नमो निखिलेश नमो महप्राण ।।३॥
सुनादि अनादि अनंत अखंड
अशेष महेश परेश प्रचंड
सतीवर साधक शैलप्रभास
नमो हरि तारण कामविलास ॥४॥
उमापति शंकर श्रृंग वृषीश
अगोचर निर्गम ब्रम्ह मुनीश
चराचर वृत्ति अलौकिक साद
नमो शिवनाथ निरंजन नाद ॥५॥
भरै विशवंभर हेक हुँकार
नसै धरअंबर दैत्य विकार
भयंकर रूप भयंकर नाद
धिनाधिन तांडव घोष निनाद ॥६॥
महीधर पर्वतधीश कृपालु
दयाकर शंकर दीनदयालु
डमाडम डम्मरु हाथ त्रिशूल
हरो मम पातक घातक शूल ॥७॥
कर्यौ तव साथ रखूं विशवास
न हौं अभिमान रखो हिय पास
तिहारि हि आस तिहारि सहाय
तिहार सकाज रह्यौ सबळाय ।।८॥
छप्पय
शिवशंकर जगनाथ, शंभु नगराज नटेसर
आशुतोष औंकार, चंद्रमौली जोगेसर ।
अजर अमर अधनंग ,अधर अविचल अविनाशी
सगत संग अरधंग,वलय विचरण कैलाशी ।
मन सिंवर आठौं याम, धारण ध्यान हे विश्वेसरा ।
हरदम विराजो आप हरिहर,नवल घट परमेसरा ॥
~~नवल जोशी