श्री रांमदे सतक – उदयराजजी उज्जवल कृत

आय वस्यौ अजमाल, कासमीर मारूधरा।
भला चौधरी भाल़, मलीनाथ रा राज में।।१
कासमीर में छोड़िया, जंह गाडा अजमाल।
गाडाथल़ वाजै जगा, जाणै सगल़ा हाल।।२
पुत्र कामना पूर, जद वापी अजमाल रै।
झलियौ नेम जरूर, दरसण करवा द्वारका।।३
साधू रै उपदेस, कीधी सेवा किसन री,
पुत्र दियौ परमेस, वीरमदे रै नांम रौ।४
अरज करी अजमाल, कांनूड़ौ जनमै कंवर।
देखै भाव दयाल़, प्रगट्या उण घर पाल़णै।।५
पेखे कींकू पगलियां, माता आंगण मांय।
वीरम संग दीठौ वल़ै, सूतौ बाल़ सवाय।।६
औ अचरज अजमाल नें, भांमण दियौ बताय।
कहियौ उण आया किसन, नांम रामदे पाय।।७
वीरम संग मोटा हुवा, पय मेंणादे पोख।
आणंद घर अजमाल रै, थया घणेरा थोक।।८
पोतड़िया धोईजता, रांमदेव रा जेथ।
रांमदेरिया नांम रो, नाडो मोटो तेथ।।९
जिंह जागा प्रगट्यौ कंवर, रांमो घर अजमाल।
ऊभी उण ठौड़ा अजां, तिटी खेजड़ी हाल।।१०
उत रांमे रा पगलिया, पूजै लोग अपार।
मांड़ै मेल़ौ माह में, मिनख हजारां आ’र।।११
संवत चवदै इकसठे, भादरवा सुद बीज।
प्रगट्या घर अजमाल रै, रांमदेव कर रीझ।।१२
प्रगट्या जद सूं रांमदे, काल़ न पड़ियौ कोय।
चौताल़े आणंद थयो, कसट न रहियौ कोय।।१३
रमतै पूछ्यौ रांमदे, बाल़द में की माल?
कूड़ी बिणजारै कही, भरियौ लूंण छै बाल़।।१४
जा थारी भावी फलै, रांमे कह्यौ रमंत।
मिसरी री बाल़द हुती, हुयगो लूंण तुरंत।।१५
बिणजारौ रूनो विल़े, पड़ियौ आय पगांह।
मिसरी कीधी रांमदे, परचौ उणी पगांह।।१६
रमतां दड़ियां रांमदे, कासमीर रै बार।
घूघर बांधी हिरणियां, चरती दीठी चार।।१७
चुटिया ले सह छोकरा, लागा वांरै लार।
रहियौ मांझी रांमदे, सोल़ां वरसां सार।।१८
साथीड़ा सगल़ा गया, घिर घिर आया गांम।
रया पगां हिक रांमदे, गया पोकरण तांम।।१९
मढ में बड़गी मिरगियां, बाल़नाथ रे पास।
पूगौ लारै रामदे, पड़तो मुखे प्रकास।।२०
हे बाल़क तूं कौण है, आयौ कित सूं एथ।
औल़खांण रांमे दयी, अपणे गांम समेत।।२१
नाथ कयौ इत भैरवो, राकस मिनख भखंत।
पाछौ तूं घर जा परो, प्रांण बचावण पंथ।।२२
तो गत सो मोरी गती, बोल्यौ राजकंवार।
करामात नें परखवा, कयौ नाथ हिक कार।।२३
बायर मढ रै बावड़ी, भर तूंम्बी जल़ लाव।
रांमो पय भरवा खरै, जल़ तो नीचौ जाव।।२४
समझ गयौ जद रांमदे, है पारख म्हारीह।
जद कहियौ जल़ उलट जा, माया विस्तारीह।।२५
पय उलटे लागो पगां, तूम्बी भरली तेथ।
दीध तिका उण नाथ नें, साचे भाव समेत।।२६
नहचौ हुयग्यौ नाथ नें, तोई बाल़क देख।
गुदड़ी हेठ छिपाड़ियौ, धारी दया विसेख।।२७
उण पुल़ राकस आवियो, मांणस वासै मोय।
बाल़नाथ उणने कही, जा तूं ले लै जोय।।२८
पेखी राकस परकमा, जद गुदड़ी धूजंत।
पूरे बल़ खांची परी, सो तो नंह सिरकंत।।२९
भय सूं भागो भैरवो, रांमो उठियौ लार।
गुरु सूं आग्या मांगवी, राकस मारण कार।।३०
बाल़नाथ आग्या दयी, रांमदेव क्रामात।
राकस नै लीधो पकड़, दियौ गुफा में घात।।३१
घाटी कंदर घालियो, आडी सिला अनेक।
बांध दिया की बाकल़ा, पौढी पत पर पेख।।३२
राकस मार्यो भैरवो, कियौ देस सुख काज।
मलीनाथ री ले रजा, थप्यौ पोकरण राज।।३३
सुवस वसायौ देसड़ो, सुखियौ हुवो समाज।
की सेवा नव कोट री, रांमदेव महाराज।।३४
पोल़पात रांमे थप्यो, अखौ सिढायच ईख।
दिया माड़वे वास दुय, तूंवर राखी तीख।।३५
सुगणौ मोटी बैन, पिरणाई पूंगल़ गढे।
लाछां रे सुख चैन, छोटी दी सोढांण में।।३६
रांमदेव रा ब्याव में, सुगणौ भाणूं साथ।
राजी आई पोकरण, मुदे भ्रात क्रामात।।३७
पिरणे आयौ पोकरण, रांमो डोढी द्वार।
सुगणा बिण सिणगार रै, मूंडो रही उतार।।३८
रांमे कारण पूछियो, भाणू वेग बुलाय।
आंसू झड़ सुगणौ कयो, बेटो गयौ विलाय।।३९
रामदेव कहणेह, सुगणौ जद हेलो दियौ।
जोवत घणे जणेह, आयौ झट भांणू उठे।।४०
कीधा भांणूं काल़, पांच दिवस बीता परा।
सो आयौ ततकाल़, दीधो परचौ रांमदे।।४१
परचौ दीठो पोकरण, सैण हजारां साथ।
भावी रांमादेव री, वधी एण क्रामात।।४२
वीरम री बेटी वरी, कमधज राव हमीर।
हथल़ेवे में पोकरण, रांमे दियौ सधीर।।४३
राज दियौ सह तूंवरां, वसिया भूम विड़ांण।
रहै जठे ई रांमदे, जागा तीरथ जांण।।४४
रांमदेवरौ रांमदे, मंडियौ अपणे नांम।
देवराज छोटो पुतर, थप्यौ पाटवी नांम।।४५
सादै सादों वासियों, बड़े पुत्र निज गांम।
हेत घणे न्यारौ हुवो, राजी रहिया रांम।।४६
वसियौ वीरमदेवरो, वीरम भ्राता नांम।
जां लग पूजै रांमदे, तूंवर सुखी तमांम।।४७
जांभो तपसी रांमदे, अखौ सिंढायच एम।
मिंत हुता तीनां महा, जग उपकरक जेम।।४८
जांभे जांभासर कियो, भारी बड़ो तल़ाव।
खारौ जल़ तिणरो कियो, रांमे हंसो कराव।।४९
रांमे कीधा देवरे, तंवर भलौ तल़ाव।
सो बूरीजै रेत सूं, जांभे वचन पसाव।।५०
अखे तल़ाव खिणावियो, जल़ सूं भरगो जद्द।
रांमे जांभे देखियो, ताकव कहिया तद्द।।५१
थां हांसी क्रामात सूं, दिया तल़ाव बिगाड़।
की म्हां में जो कावल़ी, मरां पेट नें फाड़।।५२
दियौ वचन दोनूं जदे, पातव त्याग पसाव।
इण तल़ाव रै ऊपरां, आयौ तिस्यौ न जाव।।५३
अजां अखीसर आय, प्यासो नंह रैवे प्रतछ।
जल़ पीवण मिल़ जाय, मीठो वेरी मांयने।।५४
विध विध देस विदेस, रांमे री कीरत रयी।
पांच पीर दरवेश, मक्के सूं आया मिल़ण।।५५
बाबो ले घोड़ाह, जंगल़ में बैठो हुतो।
पीरस पूगोड़ाह, रांमे सूं जायर मिल़्या।।५६
रांमे कर मनवार, भोजन पकवायौ भलो।
पीर पुणी तिण वार, लाव मकै सूं तसतरी।।५७
तद आई सह तसतरी, मक्के सूं हिक साथ।
पीरां पदवी पीर री, दीध देख क्रामात।।५८
पीरां दातण रोपिया, हुई पींपल़ी पांच।
अजां वजै पंच पींपल़ी, सागे ठौड़े सांच।।५९
जद सूं वाजै रांमदे, प्रथमी रांमा पीर।
पछम धरा रा पातसा, वीरम वाल़ौ वीर।।६०
लीध समाधी रांमदे, जीवतड़ां अजमाल।
कथन प्रमांणे किसन रै, भयो लोप भोपाल़।।६१
पनरै सौ पनरोतरै, सुद ग्यारस मांह।
रुणैचै रामौ गयौ, बैठ समाधि मांह।।६२
लीधी धाळी भांभणी, सागै दीह समाद।
हती कंवारी छोकरी, उण भगती धनवाद।।६३
जपियौ बाबै जावतां, खोल्यां मती समाद।
सिध्ध पाटवी होवसी, अजमल री औलाद।।६४
हडबू आयौ कांण ने, मिळगो रांमो आप।
तापड पर हडबू कही, तूंवर चूका धाप।।६५
तार काढवां तूंवरां, खोली जाय समाध।
मळियौ की नंह मायनें, वचन गमाया बाध।।६६
वांणी ही आकास री, चूका तूंवर चाल।
सिध्धि खोई सरवथा, खावौ मठ परसाद।।६७
मेळां मांहि भादवा, रुणेचे दुय होय।
जुड़से लाखां जातरू साची भावी सोय।।६८
माले जांभ रामदे, नांनग भारत देस।
पंथ थप्या धर्म प्रेम रा, काटण घणा कलेस।।६९
पूजै रामापीर नें, हिंदू ने इसलाम।
छुत अछुता सारखा, धरम प्रेम रो धाम।।७०
औरंग लियौ अजीत सू, दुसटी मुरधर देस।
पूजा बोली पीर री, कटगौ सकळ कलेस।।७१
पक्कौ मठ कमधां पती, बणवायौ अजमाल।
आई पाछी मरुधरां, रांमा कियौ निहाल।।७२
विपदा में बाबोह, आवै आडौ ऊधडौ।
पूजंता फाबोह, इण निकळंक अवतार नें।।७३
भेद भाव मेटण वगा, संपत थपण समाज।
मलीनाथ रामे थप्यौ, बीज पंथ महाराज।।७४
मेटण मोटा रोग, आंधा देवण आंखियां।
औखद सदा अमोघ, भावी रांमापीर री।।७५
तुंवर झट तारेह, सरणायौ ने रांमदे।
सह थारे सारेह, सुख देणौ संसार ने।।७६
दीजै सुमति देव, सतकारज कीजै सफळ।
लीजै सार सदैव, रीझै तुंवर रांमदे।।७७
बाळक पण सू बोध, हिय म्हारै थारौ हुऔ।
सबळा मालक शोध, दीजै तुंवर रामदे।। ७८
कीधा एम कसूर, जांण तथा अणजांण में।
है तु जगत हजूर, करै माफ रांमा कंवर।।७९
एम घणों अग्यांन, माया बाधा मांनवी।
दीजै सुबुधि ग्यांन, रीझौ तुंवर रांमदे।।८०
तू किसना अवतार, तीखौ दीनां तारवा।
सरणायां साधार, रीझौ तुंवर रांमदे।।८१
रुणेचे रा राव, पूजां थारा पगलियां।
दया तणां दरियाव, रीझौ तुंवर रांमदे।।८२
तुं तुंवर तीखोह, दुखीयां तारण देवता।
थारे सारीखौह, मिळे न दुजौ रांमदे।।८३
दिसटी आंखां देर, मो उपर करजो मया।
हित चारण रो हेर, रीझौ तुंवर रामदे।।८४
पडां तिहारै पांव, करुणानिधि विणती करा।
आव आव झट आव, मदत अमीणी रामदे।।८५
थया बिरद थाराह, मेटण संकट मनवां।
मंत्र सुणौ म्हाराह, रीझौ तुंवर रांमदे।।८६
विदग बारंबार, करुणानिधि वणत करै।
तार किसन अवतार, मात पिता तु रामदे।।८७
रुणेचे रा राव, आरत री सुणजौ अरज।
आव आव झट आव, करौ बेल रांमा कंवर।।८८
अस लीले असवार, धोळी धज वाळा धणी।
रांमा राज कंवार, करुणानिधि ओपर करौ।।८९
परगटियौ थु पीर, मेटण संकट मनवां।
वीरम वाळौ वीर, रीझै तुंवर रांमदे।।९०
देवै देस विदेश, परचा तुं नित पातसा।
काटौ सकळ कळेस, रीझौ तुंवर रामदे।।९१
पडां तिहारै पांव, शरणे री राखै सरम।
रुणेचै रा राव, करो बैल रामा कंवर।।९२
कै वारां कीधाह, दरसण थारा देवरे।
सह कारज सीधाह, करो सफळ रांमा कंवर।।९३
मैंणादे रा नाम, बाबा तौ से बिनती।
करौ सफळ सह कोम, म्हारो तुंवर रांगदे।।९४
ले सुगणौ रो नाम, कर जोडै वीणत करो।
करौ सफळ सह कांम, म्हारो तुंवर रांमदे।।१५
लाछां रै लेखैह, कारज सिध म्हारा करौ।
परम धरम पेखैह, करै मदत रांमा कंवर।।९६
सगळा कारज सार, “उदयराज” रा ईसवर।
नेतल रा भरतार, रीझो तुंवर रांमदे।।९७
सेवा जाति समाज, जनम-गांम साहित्य री।
करौ निमित शुभ काज, मोने तुंवर रांमदे।।९८
“उजळ उदो” आज, कर जोड़े वींणत करै।
मो उपर महाराज, राजी रहजो रोमदे।।९९
रच्यौ राम दे शतक औ, “उदे” बायड मेर।।
दुय हजार तेवीस में, जेठ बीज शुभ हेर।।१००
~~उदयराज जी उज्जवल