श्री हिंगलाज मनावत होरी
मत्तगयंद सवैया
लाल हि चूनर, कोर ‘रु लाल हि लाल हि कंचुकि लाल हि डोरी!
सिंदुर लाल सुबिंदी कपाल , ‘रु लाल हि भाल सुकुंकुम रोरी!
लालमलाल उछाल कियौ नभ भोर रु सांझ समे रंग ढोरी!
थाल अबीर गुलाल लिए कर,श्री हिंगलाज मनावत होरी! १
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