सुमिर मन शंकर मंगलकारी!

सुमिर मन शंकर मंगलकारी!
अलख निरंजन, भव भय भंजन, त्र्यंबक हर त्रिपुरारी!१
जय शशिशेखर, जटा गंगधर, भेष भयंकर भारी!
व्याल सूत्र उपवीत धरे तन, आक, धतूर अहारी!२
व्याघ्र चर्म भस्मांग शुशोभित,मुनि मानस मनहारी!
नीलकंठ लावण्यमहोदधि, गिरि कैलाश विहारी!!३[…]