भैरवाष्टक – डॉ. शक्तिदान कविया

।।छंद – त्रिभंगी।।
नाकोडा वाला, थान निराला, भाखर माला बिच भाला।
कर रुप कराला, गोरा काला, तु मुदराला चिरताला।
ध्रुव दीठ धजाला, ओप उजाला, रूपाला आवास रमा।
भैरु भुरजाला, वीर वडाला, खैतर पाला दैव खमा।
जी खेतर पाला घणी खमा…।।1।।[…]

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छंद खेतरपाळजी रौ – मेहाजी वीठू

।।छंद नाराच।।
भयांण तेह जांण गेह, रूप नेह रच्चये।
सुरा सलेह मन्न मेह, पनंगेह परच्चये।
तईम तेह सेह जेह, गेह गेह गल्लऐ।
गुणै गहीर सूर धीर, खेत वीर खिल्लऐ।।1।।[…]

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भैरव नाथ रो छंद – जयसिंह सिंहढायच, मंदा, राजसमंद

।।छंद – त्रिभंगी।।
मामा मतवाल़ा, गोरा काल़ा, लाज रूखाल़ा, लटियाल़ा।
कायम किरपाल़ा, भीम भुजाल़ा,विरद विलाल़ा,विरदाल़ा।
जोगेस जटाल़ा, मन मुदराल़ा, आभ उजाल़ा,भाण समो।
जय जय जग सामी, अमर अमामी ,नामी भैरव नाथ नमो।।१
जिय भेल़े भैरव भ्रात नमो।।[…]

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भैरव वंदना – कवि डूंगरदान जी आशिया बाल़ाऊ

।।छंद – रेंणकी।।
ढम ढम बजि ढोल घूघरों घम घम रम रम खेतल रास रमें।
धम धम पग धरत धरत्रि धूजत, सुर देखत नृत तेण समें।
बम बम बम बोल बोलिया बावन, रम झम रम झम रमतोड़ा।
डम डम डम डाक डहकिया डैरव नम नम भैरव नाकोड़ा।।१[…]

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भैरूंनाथ रा छप्पय – जवाहरदान जी रतनूं

।।भैरवानाथ।।

।।छप्पय।।

डमर डाक डम डमक, घमर घूघर घरणाटै।
पग पैजनि ठम ठमक, स्वान झमझम सरणाटै।
द्युति आनन दम दमक, रमक गंध तेल रऴक्कै।
गयण धरा गम गमक, खमक मेखऴी खऴक्कै।
सम समक संप चम चम चमक, धमक बहै रँग धौरला।
मोरला काम कज चढ हद मदद, (रे) गुरज लियाँ कर गौरला।।1।।[…]

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कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद

।।छंद रोमकंद।।
थपियो थल़ मांय अनुप्पम थांनग,
छत्र मंडोवर छोड छती।
थल़वाट सबै हद थाट थपाड़िय,
पाट जमाड़िय बीक पती।
दिगपाल़ दिहाड़िय ऊजल़ दीरघ,
भाव उमाड़िय चाव भरै।
कवियां भय हार सदा सिग कारज,
कोडमदेसरनाथ करै।।1[…]

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गीत सींथल़नाथ गोरेजी रो

चारण देवी उपासक। भैरूं देवी रो आगीवाण सो चारणां रै भैरूं रो जबर इष्ट। चारण भैरूं नैं मामै रै नाम सूं अभिहित करै। मामै रै भाणजा लाडैसर सो घणै चारणां नैं भैरूं रै सजोरै परचां रो वर्णन किंवदंतियां में सुणण नैं मिल़ै। ऐड़ो ई एक किस्सो सींथल़ रा वीठू चारण नारायणसिंह मूल़ा रो है। मध्यकाल़ री बगत सींथल़ रै मूल़ां रै वास में मानदान अर नारायणसिंह दो भाई हा। नारायणसिंह रो ब्याव बूढापै में होयो। घर में कोई खास सरतर नीं हो पण इणां रै गोरै भैरूं रो घणो इष्ट। एकर मेह वरसियो पण हलोतियै रो कोई साधन नारायणजी कनै नीं। उणां गोरै रै थान में जाय धरणो दियो।[…]

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काळिया रा सोरठा-भैरू जी रे भाव रा

हेलो सुणै हमेश,मामा थूं रहजे मदत।
वळे न चहूं विशेष,करजै इतरो काळिया॥71

तन सिंदूरी तेल,बळे चढावूं बाकरा।
छाक धरूंला छेल,कर किरपा अब काळिया॥72

लाखां दाखां लार, राखां नाखां तज लवँग।
तिण रो मद है त्यार,कहूं छाक ले काल़िया॥73 […]

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गीत भेरू जी रो – जगमाल सिंह “ज्वाला”

।।गीत सावझड़ो।।

मिणधर हाजर होय मुछाळा।
पत राखण आवे प्रतपाळा।
चंडी संग सदा चिर ताळा।
गजब दौड़ जे गोरा काळा।1।

श्वान सवारी आसन ढाळो।
टेरु तमे विघन मोय टाळो।
रेवे मात रु सदा रुखा ळो।
भगत पुकारे सामो भाळो।2। […]

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कवि श्रेष्ठ केशरोजी खिड़िया

स्वामी भक्ति, देश भक्ति व संस्कृति रा सबल़ रुखाल़ा कविवर चानणजी खिड़िया चारण गौरव पुरुष अर जाति रत्न रै रूप मे जग चावा रैया है। जद चित्तौड़ रै किले मे सिसोदियां धोखै सूं वीर पुरुष राव रिड़मल (मंडोर )नै मार र आ घोषणा कराय दी कै कोई आदमी रिड़मल रो दाह संस्कार नी करेला। उण बगत चानणजी चित्तौड़ रै कानी मिली जागीर कपासण मे रैवता। उणां नै आ ठाह लागी कै राव रिड़मल रै साथै विश्वासघात होयग्यो अर अबै उणरी देह री दुरगत होय रैयी है तो वै उठै आया अर रिड़मल री चिता बणाय दाग दियो। कैयो जावै कै […]

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