भैरवाष्टक – डॉ. शक्तिदान कविया

।।छंद – त्रिभंगी।।
नाकोडा वाला, थान निराला, भाखर माला बिच भाला।
कर रुप कराला, गोरा काला, तु मुदराला चिरताला।
ध्रुव दीठ धजाला, ओप उजाला, रूपाला आवास रमा।
भैरु भुरजाला, वीर वडाला, खैतर पाला दैव खमा।
जी खेतर पाला घणी खमा…।।1।।[…]