श्री राम वंदना

।।हरि गीतिका।।
सुखधाम!सरसिज-श्यामवपु!सिय वाम, जिन के सोहती।
गुणग्राम! मनविश्राम!ललित ललाम छबि मन मोहती।
निश्काम!शोभाऽराम, कष्ट तमाम पातक खंडनं।
श्री राम !कोटिक काम अति अभिराम रघुवर वंदनं।।१[…]

» Read more

श्री आवड़ आराधना – कवि चाळकदान जी रतनू मोड़ी

।।छंद – हरिगीत।।
अंजुलिय इक्कर नलगि नख्खर सिन्धु हक्कर सोखिये।
तेमड़े तिहि कर दनू दह कर महिष भक्कर मोखिये।
मद रूपमत्ती सिंह सझत्ती वज्रहत्थी बदावड़ा।
जय मातु जगत्ती बीसहत्थी, आद सगती आवड़ा।
जिय आद रूपा आवड़ा।।१।।[…]

» Read more

आवड माता री स्तुति – अनोपजी वीठू

।।छंद हरिगीत (सारसी)।।
गणेश गणपत दीजिये गत उकत सुरसत उजळी।
वरणंत मैं अत कीरति व्रत शगत सूरत संव्वळी।
वा वीश हथसूं दिये बरकत टाळे हरकत तावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।1।।

मामड चारण दुःख मारण सुख कारण संमरी।
दिव्य देह धारण कीध डारण तरण तारण अवतरी।
समर्यां पधारण काज सारण धन वधारण धावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।2।।[…]

» Read more

हिंगळाज माताजी री स्तुति – कविराज शंकरदानजी जेठीभाई देथा (लींबडी)

॥छंद हरिगीत॥
प्रणमामि मातु प्रेम मूरति, पार्वती परमेशरी।
शांति क्षमामय कृपासागरि, सुखप्रदा सरवेशरी।
सेवक शिशु रा दुरित दारिद, विघ्न दोष विदारणी।
आदि शक्ति नमो अंबा, हिंगळा अघहारिणी॥1

सब देवियां शिरमौड सातांद्वीप री राजेशरी।
कोहला परवत कंदरा री निवासी निखिलेशरी।
आनंद वदनी आशुतुष्टा, कृपा मंगळ कारिणी।
नकळंक रुपा नमो अंबा, हिंगळा अघहारिणी॥2 […]

» Read more