करूणाष्टक – कृष्णदास छीपा

!!छन्द-ईन्द!!
मृग बंद को फंद मुकुन्द कट्यो दुख द्वन्द हट्यो विषयावन में
ग्रही ग्राह प्रचंड समंद विशाल गजेन्द्र की टेर सुनी छिन में
धर उपर घंट गयंद धरयो खग ईण्ड उद्धार कियो रन में
रघुनन्द गोविन्द आनन्द घणा कृष्णा चित धारि रहो ऊन में !!१!![…]

» Read more