सूरजदेव स्तुति

।।छंद – मुकंदडंबरी।।
परभात री जोत दिपै परभाकर,
नित्य नवीन करै किरणां।
उतसाह उमंग सुचंग भरै उर,
तारण नाथ सदा तरुणा।
जगचक्ख अहो जगनायक जोगिय,
काज धरा करणो करुणा।
सुण गीध सलाम सदामद सूरज,
नाम ललाम रटो निरणा।।1[…]

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