श्री हडुमानजी रौ अष्टक – डॉ. शक्तिदान कविया

।।छन्द रोमकंद।।
अतुळीबळ झेल भुजां ब्रिद ऊजळ, सायर लंघ उझेल सची
गजठेल प्रजाळण लंक तणौ गढ़, मारुत नन्दण हेल मची।
नित तेल सिंदूर चढ़ै कपिनायक, भाव अपेल सुं होय भली।
अजरेल जयो हड़ुमांन अणंकळ, बेल करे बजरंग बली।।१[…]