छंद करनीजी रा

।।छंद – रोमकंद।।
दुसटी कल़ु घोर हुवो दुख देयण, रेणव जात सुमात रटी।
महि गांम सुवाप पिता धिन मेहज, पाप प्रजाल़ण तूं प्रगटी।
इल़ जात उजाल़ण पातव पाल़ण, बात धरा पर तो वरणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।1

प्रजपाल़ तुंही सरणाणिय पोखण, रोकण राड़ बिगाड़ रसा।
सबल़ापण हाकड़ धाकड़ सोखण, जोगण काज बखांण जसा।
जुध मांय अरी सिर वीजड़ झोखण, हेकण हाथ जमात हणी।
धिन लोहड़याल़िय लाल धजाल़िय, तूं रखवाल़िय संत तणी।।2[…]

» Read more

हिंगळाज माताजी री स्तुति। – कवि रामचंद्र मोडरी (राणेसर)

।।छंद-रुपमुकुंद (रोमकंद)।।
करि कोप कंधाळम वीर वडाळम भूत कढाळम साव भले।
भयभीत भुजाळम रोख रढाळम झुझ बराळम खाग झले।
मिळिया मतवाळम पेट पेटाळम काळम पाळम पंथ कमे।
तरशूळ झले झळबोळ त्रिकाळिय रुप असेय हिंगोळ रमे।।1।।

हाडेतणी ताणम सैन सजाणम दैत जुआणम मेलि दळं।
रणि जंग मचाणम है जमराणम आग अवाणम मांय खळं।
खडि है खुरसाणम धज्ज धजाणम साहिकबाणम एणि समे।
तरसूळ झले झळबोळ त्रिकाळिय रुप असेय हिंगोळ रमे।।2।।[…]

» Read more

जोगण चाळकनेच जयो – महादान महडू

।।छन्द – रूप मुकून्द।।
शुभभाळक देव संभाळक सेवक झाळ बंबाळक रोख झड़े।
विकराळक सिंह चढे बिरदाळक खेतरवाळक अग्र खड़े।
चख नख सरूप रचे चिरताळक दानव गाळक शंभु दयो।
प्रतपाळक बाळक रोग प्रजाळक जोगण चाळकनेच जयो।।१।।

रणताळक झाळ शत्रां सिर राळक के महिपाळक सेव करे।
चमराळक शीश ढुळाळक चौसठ तेज ऊजाळक भांण तरे।
अकड़ाळक थाट लग ओपत थाट थड़ांलग जांण थयो।
प्रतपाळक बाळक रोग प्रजाळक जोगण चाळकनेच जयो।।२।।[…]

» Read more

आवड मां रा रास रमण रे भाव रा दुरमिल सवैया

।।दोहा।।
माडेची उछरंग मंडै, सझि पोशाक सुढाळ।
बोलत सह जय जय विमळ, बाजत राग विशाळ॥ 1 ॥

।।छंद – दुरमिला।।
बहु राग बिलावल बाजहि विम्मळ राग सु प्रघ्घळ वेणु बजै।
मिरदंग त्रमागळ भेरिय भूंगळ गोमस सब्बळ वोम गजै।
बहु थाट बळोबळ होय हळोबळ धुजि सको यळ पाय धमै।
शिणगार सझै मुख हास सुशोभित रास गिरव्वर राय रमै॥ 1 ॥

घण बज्जत घुंघर पाय अपंपर लाखूं ही दद्दर पाय लजै।
घण मंडळ घूघर बास पटंबर बोलत अम्मर मोद बिजै।
अति बासव अंतर धूजि धरा जोगण जब्बर खेल जमै।
शिणगार सझै मुख हास सुशोभित रास गिरव्वर राय रमै॥ 2॥[…]

» Read more

वीरां माऊ वंदना

सिरुवै जैसल़मेर रा रतनू हरपाल़जी समरथदानजी रा आपरी बगत रा स्वाभिमानी अर साहसी पुरस हा। इणां री शादी रतनुवां रा बही राव, रावजी पूनमदान नरसिंहदानजी बिराई रै मुजब गांम सींथल़ रा बीठू किशोरजी डूंगरदानजी रां री बेटी वीरां बाई साथै होई।

जद जैसलमेर रा तत्कालीन महारावल़ जसवंतसिहजी (1759-1764वि)अर भाटी तेजमालजी रामसिंहोत रै बीच अदावदी बढी उण बगत हरपालजी ई भाटी तेजमालजी रै साथै हा। महारावल़ अर भाटी तेजमालजी रै बिचाल़ै हाबूर री गेह तल़ाई माथै लड़ाई होई उण बगत भाटी तेजमालजी संजोगवश निहत्था सो वीरगति(1763वि.बैसाग 8)नै पाई। (संदर्भ जैसलमेर भाटी शासक उनके पूर्वज एवं वंशजों का क्रमबद्ध स्वर्णिम इतिहास-गोपाल सिंह भाटी तेजमालता) महारावल़ उणां री पार्थिव देह नै अग्नि समर्पित करण सूं सबां नै मना कर दिया। उण बगत रतनू हरपालजी हाबूर ऊनड़ां साथै मिल़र महारावल़ री गिनर करियां बिनां दाग दियो-

झीबां पाव झकोल़िया, उडर हूवा अलग्ग।
पह रतनू हरपाल़ रा, प्रतन छूटा पग्ग।।[…]

» Read more

शारदा स्तुति

।।रोमकंद।।
उर दैण उगत्तिय जोड़ जुगत्तिय, दांन सुदत्तिय बांण दहै।
कवि कीरत कथ्थिय साज सुमत्तिय, लम्ब सूं हत्थिय भीर लहै।
कर वीणबजत्तिय काज करत्तिय, पांण धरत्तिय दास परै।
सिमरू सुरसत्तिय साय सगत्तिय, हंस चढत्तिय दोस हरै।।१

शुकळा पट धारण हंस सवारण, वाणिय हारण तूं विपदा।
घट ग्यांन बधारण औगण गारण, बात सुधारण तूं वरदा।
पह संत पुकारण आय उबारण, तुंही उतारण पार तरै।
सिमरू सुरसत्तिय साय सगत्तिय, हंस चढत्तिय दोस हरै।।२[…]

» Read more

बजरंग वंदना

।।छंद-रोमकंद।।
नभ मे रवि तेज निहारिय नाटक, राटक रांमत तैंज रची।
अड़ड़ाटक पूगिय जोर उंचांचळ, सांमथ दाटक बात सची।
जबरेल तुंही मुख झालिय झाटक, काटक भोम अंधार करै।
हड़मांन जहांन हुवो दुख हारण, कारण दास पुकार करै।।1

बलवंत बुवो जग जांमण वाहर, लंघड़ सांमद पाज लँगी।
अजरेल त्रिकूट उथाळण आगळ, सांम रै कारज सांम सँगी।
पह सीत रै पास पुगो हरिपायक, सो सुखदायक हांम सरै।
हड़मान जहान हुवो दुख हारण, कारण देस पुकार करै।।2[…]

» Read more

कोडमदेसर भैरुंजी रा छंद

।।छंद रोमकंद।।
थपियो थल़ मांय अनुप्पम थांनग,
छत्र मंडोवर छोड छती।
थल़वाट सबै हद थाट थपाड़िय,
पाट जमाड़िय बीक पती।
दिगपाल़ दिहाड़िय ऊजल़ दीरघ,
भाव उमाड़िय चाव भरै।
कवियां भय हार सदा सिग कारज,
कोडमदेसरनाथ करै।।1[…]

» Read more

अलूजी लाळस रा बारहमासा

॥छंद रोमकंद॥
अषाढ घघुंबिय लुंबिय अंबर बादळ बेवड चोवळियं।
महलार महेलीय लाड गहेलिय नीर छळै निझरै नळियं।
अंद्र गाज अगाज करे धर उपर अंबु नयां सर उभरियां।
अजमाल नथु तण कुंवर आलण सोहि तणी रत सांभरिया ।
म्हानै सोहि तणी रत सांभरिया॥ 1 ॥[…]

» Read more

सुरराज करी गजराज सवारिय

।।छंद – रोमकंद।।
उमड़ी उतराद अटारिय ऊपड़, कांठल़ सांम वणाव कियो।
चित प्रीत पियारिय धारिय चातर, आतर जोबन भाव अयो।
वसुधा धिनकारिय आघ बधारिय, वा बल़िहारिय बात बही।
सुरराज करी गजराज सवारिय, मौज वरीसण आज मही।।
जियै, मौज समापण राज मही।।1 […]

» Read more
1 2 3 4 5