श्री डूंगरेचियां रौ छंद – मेहाजी वीठू

।।छंद सारसी।।
रम्मवा रंगूं ऊभ अंगूं, वेस चंगूं वेवरं।
चूड़ा भळक्कूं चीर ढक्कूं, पै खळक्कूं नेवरं।
संभाय सारं चूड़ भारं, हेम झारं क्रंमये।
साते समांणी आप भांणी, माड़रांणी रम्मये।।1।।[…]
Charan Community Portal
।।छंद सारसी।।
रम्मवा रंगूं ऊभ अंगूं, वेस चंगूं वेवरं।
चूड़ा भळक्कूं चीर ढक्कूं, पै खळक्कूं नेवरं।
संभाय सारं चूड़ भारं, हेम झारं क्रंमये।
साते समांणी आप भांणी, माड़रांणी रम्मये।।1।।[…]
।।छंद-सारसी।।
धिन पिछम राजै भीर धरणी,
हिंगल़ा बड हाथ तूं।
दुख-रोग काटै आय दाता,
बणी राखै बात तूं.
दिल डरपियो सब देश देवी,
छती कर अब छांहड़ी।
सत सुणै हेलो आज सगती, मही मदती मावड़ी।।१[…]
પાપ ભર્યો ગરવાપતિ, કહ્યું ન માન્યો કેણ,
દેવી દુભાતે દિલે, વદતી નાગઇ વેણ
।।છંદ – સારસી।।
મનખોટ મહિપત મેલ માજા,અમ ધરાં પર આવિયો,
રજવટ તણી નહિ રીત રાજા,લાવ લશ્કર લાવિયો,
હું ભીન ભા તું પુણ્ય પાજા,ધરણ કાં અવળી ફરી
નકળંક અશરણ શરણ નાગઇ,હરણ દુઃખ હરજોગરી
જીય હરણ દુઃખ હરજોગરી….(૧)[…]
।।છંદ – સારસી।।
ભણત કવિયંદ શાહર, તૂજ વાહર ઘણી જાહર કંધર;
દૈતાવ ડાહર મતિ શાહર ઉપર તાહાં અમપરં;
પાંથવા પાહર તુંજ વાહર, મેખ માહર ઝળમળી;
ખટવ્રણા સંકટ પડી ખોડલ, આવ્ય માત ઉતાવળી…૧
હે ભવાની ! હે આઈ ! કવિઓ આપની સહાય યાચી રહ્યા છે, ત્યારે આપ તેની મદદે આવો . દૈત્યો-દુષ્ટો સૌને ડરાવી રહ્યા છે, ત્યારે અમારી મતિ-બુદ્ધિ તો આપનું જ સ્મરણ કરે છે. અમને તો આપનો જ ભરોસો છે. દૈત્ય મહિષાસુર (પાડો)ને મારનારા હે આઈ ! કવિઓ આપની પ્રાર્થના કરે છે. કવિઓ પર આવી પડેલ સંકટ વેળાએ હે ખોડિયાર આઈ ! આપ સત્વરે તેમની મદદે આવજો.[…]
।।छंद – सारसी।।
बरखा बिछोही शुष्क रोही,
और वोही इण समैं।
मघवा निमोही बण बटोही,
हीय मोही लख हमैं।
बलमा बिसारी धण दुखारी,
जीव भारी कष्टकर।
पत राख सुरपत दर बिसर मत,
मेट आरत मेह कर।
जिय देर मत कर मेह कर।[…]
।।छंद – सारसी।।
आषाढ घमघम धरा धमधम, वरळ चमचम वीजळी,
जीय वरळ चमचम वीजळी।।
गडहडिय सज दळ, आभा वळकळ, मंद प्रबळा मलकती,
दीपती खड खड, हसी नवढा, श्याम घुंघट छुपती;
अबळा अकेली, करत केली, व्योम वेली लळवळी,
आषाढ घमघम धरा धमधम, वरळ चमचम वीजळी,.
जीय वरळ चमचम वीजळी।।१[…]
।।छंद – सारसी।।
नव लाख पोषण अकळ नर ही, ए ज सोनल अवतरी।।
मा ! ए ज सोनल अवतरी ।।टेर।।
अंधकारनी फोजुं हटी, भेंकार रजनी भागती।
पोफाट हामा सधू प्रगटी, ज्योत झगमग जागती।।
व्रण तिमिर मेटण सूर समवड, किरण घटघट परवरी।
नव लाख पोषण अकळ नर ही, ए ज सोनल अवतरी।।
मा ! ए ज सोनल अवतरी…….।।१।।[…]
।।छंद – सारसी।।
तुंही रुद्राणी, व्रहमाणी, विश्व जाणी, वज्जरा।
चाळळकनेची, तुं रवेची, डुँगरेची, छप्परा।
विशां भुजाळी, वक्र वाळी, त्रिशूळाळी त्रम्मया।
वेदां वदंती, सारसत्ती, आध शगति उमिया।।1[…]
।।छंद हरिगीत (सारसी)।।
गणेश गणपत दीजिये गत उकत सुरसत उजळी।
वरणंत मैं अत कीरति व्रत शगत सूरत संव्वळी।
वा वीश हथसूं दिये बरकत टाळे हरकत तावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।1।।
मामड चारण दुःख मारण सुख कारण संमरी।
दिव्य देह धारण कीध डारण तरण तारण अवतरी।
समर्यां पधारण काज सारण धन वधारण धावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।2।।[…]
।।छंद – सारसी।।
मनधार मत्ती सज सगत्ती, आप रत्थी आविया।
पोक्रण पत्ती बड कुमत्ती, छोह छत्ती छाविया।
तन झाल़ तत्ती सूर सत्ती, रूक हत्थी राड़वै।
बढ चरण वंदू शील संधू, मात चंदू माड़वै।।1[…]