रघुवरजसप्रकास – किसनाजी आढ़ा

किसनाजी आढ़ा विरचित डिंगल गीतों/छंदों का प्रसिद्ध लाक्षणिक ग्रंथ
संपादक : डॉ.सीताराम लालस
| कड़ी-33 | विषय: गद्य छंद लछण विध-दवावैत, वचनका, वारता
| धारावाहिक श्रंखला – प्रत्येक मंगल, शुक्र एवं रविवार को प्रेषित
Charan Community Portal
किसनाजी आढ़ा विरचित डिंगल गीतों/छंदों का प्रसिद्ध लाक्षणिक ग्रंथ
संपादक : डॉ.सीताराम लालस
| कड़ी-33 | विषय: गद्य छंद लछण विध-दवावैत, वचनका, वारता
| धारावाहिक श्रंखला – प्रत्येक मंगल, शुक्र एवं रविवार को प्रेषित
(झूलणा छंद)
कुळ रावण तणो नाश किधा पछी
ऐक दी रामने वहेम आव्यो
मुज तणा नामथी पथर तरता थया
आ बधो ढोंग कोणे चलाव्यो ?
ऐ ज विचारमां आप उभा थया
कोईने नव पछी साथ लाव्या
सवॅथी छुपता छुपता रामजी
ऐकला उदधिने तिर आव्या…
પાપ ભર્યો ગરવાપતિ, કહ્યું ન માન્યો કેણ,
દેવી દુભાતે દિલે, વદતી નાગઇ વેણ
।।છંદ – સારસી।।
મનખોટ મહિપત મેલ માજા,અમ ધરાં પર આવિયો,
રજવટ તણી નહિ રીત રાજા,લાવ લશ્કર લાવિયો,
હું ભીન ભા તું પુણ્ય પાજા,ધરણ કાં અવળી ફરી
નકળંક અશરણ શરણ નાગઇ,હરણ દુઃખ હરજોગરી
જીય હરણ દુઃખ હરજોગરી….(૧)[…]
।।छंद मधुभार।।
अथ ओमकार। अक्षर उचार।
निस दिवस नाम। रट राम राम।।१
द्वै सुलभदीप। श्रद्धा समीप।
रुचि ह्वै सु राख। दुहु दिव्य दाख।।२
मम इष्ट मिष्ट। आदर अभिष्ट।
महिमा मनोग्य। जप तपन जोग्य।।३
माधूर्य मेह। आसार एह।
सदगुरु समान। जीवन जहान।।४
चित प्रथम चेत। उल्लू अचेत।
यह तन अयान। न स्थिर निदांन।।५[…]
अंजनी ग्रभ आयौ, सुमन सुहायौ, गुनि गन गायौ, ग्यान गती।
पावन सुत पूरौ, दूषण दूरौ, समहर सूरौ, जन्म जती।
करनी सुभकारी, धर जस धारी, भव भयहारी, भीम भुजा।
ले लाल लंगोटी, काछ कछोटी, धारन मोटी, लाल धजा।।१[…]
।।गग्घर निसांणी।।
आवड़ मढ अच्छं, विमल विरच्छं, मिल मंजर महकन्दा हैं।
तरवर शुभ सज्जं, फरहर धज्जं, दीपक थान दिपन्दा हैं।
प्रतमा गह पूरं, चड़त सिन्दुरं, सुचंगे पाटम्बर ओपन्दा हैं।
कुण्डळ करणालं, रूप रसालं, जगमग ज्योत जगन्दा हैं।।१।।
हिंगळ गलहारं, मणि मुक्तारं, कण माणक भळकन्दा हैं।
कंचन चुड़ालं, वीस भुजालं, खाग त्रिसूल खिवन्दा हैं।
खेतल मिल खेला, संग सचेला, प्याला मद पीवन्दा हैं।
खप्पर खल खाणं, पल रगताणं, जोगण दळ जीमन्दा हैं।।२।।[…]
प्रणमो प्रेमे महाप्रचंडी।
चरिताळी चामुंडा चंडी।
छप्पन कोटि रुप कराळी।
चरण नमूं चोटीला वाळी।
चरण नमूं मां सूंधा वाळी॥1॥
महा समरथ तुंही मंहमाया।
चवदह ब्रहमंड तुं सुरराया।
महिखमारणी तुं महाकाळी ।
चरण नमूं चोटिला वाळी।
चरण नमूं मां सूंधा वाळी॥2॥[…]
ऐसे घनस्याम सुजान पीया, कछु तो हम चिन्ह बतावें तुम्हें।
सखि पूछ रही बन बेलन ते घनश्याम मिलै तो बताओ हमें।।टेर।।
मनि मानिक मोर के पंखन में, जुरे नील जराव मुकट्टन में।
जुग कुण्डल भानु की ज्योति हरै, उरझाय रही अलके उनमें।
उन भाल पे केसर खौरि लसे रवि रेख दीपै मनु प्रात समै।
सखि पूछ रही बन बेलन ते घनश्याम मिलै तो बताओ हमें।।१[…]
કુળ રાવળ તણો નાશ કીધા પછી, એક દી રામને વહેમ આવ્યો;
“મુજ તણા નામથી પથ્થર તરતા થયા, આ બધો ઢોંગ કોણે ચલાવ્યો?”
એ જ વિચારમાં આપ ઊભા થયા, કોઇને નવ પછી સાથ લાવ્યા;
સર્વથી છૂપતા છૂપતા રામજી, એકલા ઉદધિને તીર આવ્યા. 1
ચતુર હનુમાનજી બધું ય સમજી ગયા, […]
करकि करकि कोप तरकि तरकि तोप,
लरकि लरकि लोप करन लगी।
करखि करखि कत्ति परखि परखि पत्ति,
हरखि हरखि सत्ति हरन लगी।
समर लखन आय अमर गगन छाय,
भ्रमर सुमन भाय निकर जुरे।
सरजि सरजि सोक लरजि लरजि लोक,
बरजि बरजि ओक दिगन दुरे।।1।। […]