आई अरदास रा कवत्त/छप्पय

।।कवत्त/छप्पय।।
हुई भीर हिंगल़ाज, जाझ जग तारण जरणी।
सदा केहरी साज, काज संतन रा करणी।
आरत सांभ अवाज, राज वाहर नित बैणी।
नमो गरीब नवाज, लाज रखण पख लैणी।
सगतियां तणी सिरताज तूं, सदा सहायक सेवियां।
उर दाझ मेट सुख आपणी, कर दल़ पासै केवियां।।1 […]