प्रताप – प्रशंसा

।।गीत चित इलोल़।।
इक इकां सूं हुवा आगल़
पुणां बप्पां पूत।
माण कज रण बीच मूवा
रूक ले रजपूत।
तो रजपूतजी रजपूत रंग धर राजिया रजपूत।।१[…]
Charan Community Portal
।।गीत चित इलोल़।।
इक इकां सूं हुवा आगल़
पुणां बप्पां पूत।
माण कज रण बीच मूवा
रूक ले रजपूत।
तो रजपूतजी रजपूत रंग धर राजिया रजपूत।।१[…]
।।गीत – चित्त ईलोल़।।
प्रसण हुय प्रहल़ाद ऊपर, हर दिखाये हत्थ।
पाड़ सब्बल़ दैत्य पाड़्यौ, करण अदभुत कत्थ।।
तौ समरत्थ जी समरत्थ, सारी बात हर समरत्थ।।१
बाल़ धू वन जाय बैठौ, करण सेवस कांम।
देव अपणी ओट लीन्हौ, धणी अवचल़ धांम।
तौ निध नांम जी निध नांम, जग में व्यापियो निध नांम।।२[…]
महाशक्ति देवल जिन्होंने अपने पिता की जागीर का चौथा हिस्सा अपने पिता के सेवक जो कि बेघड़ जाति का मेघवाल था को देकर बनाया था जमींदार। आजादी के बाद, उस मेघवाल की संतति को मिला था जागीर का मुआवजा। आज भी पशिचमी राजस्थान के बेघड़, कागिया, पन्नू आदि उपशाखाओं की इनमें हैं अगाध आस्था—–
।।चित इलोऴ।।
इऴ माड़वै हिंगल़ाज आई,
करण कवियां कार।
सदन भलियै घरै सगती,
आप ले अवतार।
तो दातारजी दातार, देवी देवला दातार।।१[…]
।।गीत – चित इलोल़।।
केहरी सुत परताप किनां, जंग जबरा जा’र।
विख्यात हुयगो वीर वसुधा, शा’पुरौ सिरदार।।
(तो)बलिहार जी बलिहार जावै हिन्द औ बलिहार।।1।।
अखरियौ वौ जुल़स अलबत, रपटतौ कर रोल़।
प्रण लियौ परताप फैंकण, बम्ब बढ़ चढ़ मोल।।
(तो)टंटोल़ जी टंटोल़ ठायी बैंक वौ टंटोल़।।2।।[…]
गीत – चित इलोल़
मुरधरा सोयाप मोटो, सांसणां सिरताज।
मेह रै घर जनम माता, हरस नै हिंगल़ाज।
तो हिंगल़ाज जी हिंगल़ाज हितवां रीझणी हिंगल़ाज।।1
कोम किनियां भोम कीरत, मंडणी महमाय।
उदर देवल धिनो आढी, प्रगट जामण पाय।
तो सुररायजी सुरराय, सोरम सुजस री सुरराय।।2
भाल़ निज री तात भगनी, साच उलटी सीख।
ताण पापण कियो तारां, ठोलियो सिर ठीक।
तो नजदीकजी नजदीक निष्ठुर भाव रै नजदीक।।3[…]
।।गीत – चित इलोल़।।
इल़ा भांडू करी ऊजल़,
आल रै घर आय।
देह धर हिंगल़ाज दुनियण,
मालणा महमाय।
तो भलभायजी भलभाय, भांडू भोम धिन मन भाय।।18
रमी धोरां रीझ रांमत,
बीसहथ बण बाल़।
दूल पितु नै मोद दीनो,
रोहड़ां रिछपाल़।
तो रिछपालजी रिछपाल़, रैणी रेणवां रिछपाल़।।19[…]
अड़यो ओनाड़ वो आतंक सूं सिंवाड़ै
मौद सूं फूल नह कवच मायो।
अमर कर नाम अखियात इण इळा पर
अमरपुर सिधायो चंदजायो।।
प्रभू नै पियारो होयग्यो प्रभुसिंह
सोयग्यो चुका कर कर्ज सारो।
मौयग्यो मरद वो हिन्द री भोम नै
तनक में खोयग्यो चंद-तारो।।[…]
जल़ बिनां नही देख जीवण
सैकड़ां कथ सार।
काल ही जल़ पांण कहियै
अवन जल़ आधार।
तो आधारजी आधार अवनी नीर ही आधार।।1
।आवडजी रो चित्त इलोळ गीत।
उमा रुप अनूप अवनि, आवडां लखि आदि।
बरण चारण जलम बाढी,आप किरती अनादि।
तौ अन्नादि जी अन्नादि अंबा अवतरी अन्नादि॥1॥
तौ धन्य जैसलमेर धरती,ग्राम चाळक गण्य।
साहुआं शाख तणो सुरज,मामडो कवि मन्य।
तौ धन्य हो जी धन्य,धारी देह उण धर धन्य॥2 […]