स्वातंत्र्य राजसूय यज्ञ में बारहठ परिवार की महान आहूति – ओंकार सिंह लखावत

आज हम स्वतंत्र हैं, मौलिक अधिकारों के अधिकारी हैं और चाहे जब चाहे जो बनने और करने का रास्ता खुला है, परंतु यह हमारे कारण नहीं। जरा सोचिये, कुछ रुकिये, बुद्धि पर जोर लगाइये तब पता चलेगा कि यह सब उन स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान की बदौलत है।
अपने और अपनों के लिये तो सब कुछ ऐसे और वैसे करने को तत्पर रहते हैं, क्या कभी इनके बारे में सोचने की फुर्सत भी निकाली है ? यदि हां तो ठीक है, नहीं तो स्वतंत्रता आंदोलन और विप्लव की आंधी के शताब्दी वर्ष में थोड़ा समय निकालिये। दादा-दादी, माता-पिता, पति-पत्नी, बेटी-बेटा, पौता और पौती में आप जो भी हो बैठकर स्वतंत्रता सेनानियों की माला के मणिये बने स्वातंत्र्य वीर श्री केसरी सिंह जी बारहठ, श्री जोरावर सिंह जी बारहठ और श्री प्रताप सिंह जी बारहठ की संक्षिप्त जीवनी पढ़ डालिये।
बारहठ परिवार की स्वतंत्रता के राजसूय यज्ञ में महान् आहूति हमें स्वतंत्रता का महत्व बताती है। जीवन जीने की सार्थकता का भान कराती है।[…]
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