अमर रहे गणतन्त्र हमारा – राजेश विद्रोही

भाई का दुश्मन है भाई
मन्दिर मस्जिद हाथापाई
हिन्दुस्तानी सिर्फ रह गये
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई
कौमी यकजहती रोती है
गया भाड़ में भाईचारा।
मगर हमें इन सब से क्या है
अमर रहे गणतंत्र हमारा।।[…]

» Read more

आंधै विश्वास तणो अंधियारो!

।।गीत जांगड़ो।।

आंधै विश्वास तणो अंधियारो,
भोम पसरियो भाई।
पज कुड़कै में लिखिया पढिया,
गैलां शान गमाई।।1

फरहर धजा बांध फगडाल़ा,
थांन पोल में ठावै।
बण भोपा खेल़ा पण बणनै,
विटल़ा देव बोलावै।।2[…]

» Read more

दौरेजहाँ का दर्द

ये षड्यंत्री दौर न जाने,
कितना और गिराएगा।
छद्म हितों के खातिर मानव,
क्या क्या खेल रचाएगा।

ना करुणा ना शर्म हया कुछ,
मर्यादा का मान नहीं।
संवेदन से शून्य दिलों में,
सब कुछ है इंसान नहीं।।[…]

» Read more

सुनो सपूत हिंद के

सुनो सपूत हिंद के! सुपुत्रियो सुनो ज़रा!
सुनो तुम्हें पुकारती, ये मादरे वसुंधरा!
मनु के आत्मजो सुनो! सुनो आदम के अंशजो!
गुरु-ग्रंथ पूजको सुनो! सुनो यीशु के वंशजो!
जिनेन्द्र जैनियो सुनो! प्रबुद्ध बुद्ध अर्चको!
सुनो सुकर्म साधको! विशुद्ध ज्ञान चर्चको![…]

» Read more

भारत नैं आज संभाळांला

सूरज जद स्याह अंधेरी सूं,
रंग-रळियां करणो चावै है।
चांदै नैं स्यामल-रजनी रै,
आँचळ में आँणद आवै है।

इसड़ी अणहोणी वेळा में,
होणी रा गेला कद दीखै।
कहद्यो अै तारा टाबरिया,
कुणनैं देखै अर के सीखै?[…]

» Read more

शब्दां वाल़ी चोट देखलै!!

माची दोटमदोट देखलै!
सिद्ध श्री में खोट देखलै!
मिनड़्यां वाट न्याय री न्हाल़ै!
बांदर छीनै रोट देखलै!!

गाय सुवाड़ी ठाण बंधी है!!
खेत उजाड़ै झोट देखलै!!
घड़ै चौपड़ै छांट पड़ै नीं!!
काल़ा तन पर कोट देखलै!![…]

» Read more

माण मिटाणा मीत

बाजै देखो वायरो, लाज उडावण लीक।
रलकीज्या ऐ रेत में, ठाठ वडां रा ठीक।।1
मरट वडां रो मेटियो, समै किया इकसार।
भरम अबै तो भायलां, लेस न रैयो लिगार।।2
कठै गयो वो कायदो, कठै गई वा काण।
फट्ट मिल़ै कीं फायदो, वीरां! पड़गी बाण।।3 […]

» Read more

लहू से लिखने को मजबूर

पत्ती ने जिस दिन पौधे की जड़ को जड़ कह कर धमकाया।
फूलों ने खुद को पौधे का भाग्य विधाता बतलाया।
इठलाकर निज रूपरंग पर फुनगी ने डाली को टोका।
लहरों ने सागर से मिलने को आतुर नदिया को रोका।
सागर से यूं नदिया जब-जब, सहमी-सहमी दूर हुई है।
तब-तब मेरी कलम लहू से लिखने को मजबूर हुई है।। 01।।

» Read more

दो गजलां -गिरधरदान रतनू दासोड़ी

एकर म्हारै गाम आवजै।
साथै थारी भाम लावजै।।
चांदो तारा बंतल़ करता।
हंसतो रमतो धाम पावजै।।
मिरच रोटियां मन मनवारां
काल़जियै रो ठाम पावजै।।
स्नेह सुरां री बंशी सुणजै।
तल़ खेजड़ आराम पावजै।।
फोग कूमटा जूनी जाल़ां।
परतख वांमे राम पावजै।।
विमल़ वेकल़ू धवल़ धोरिया।
कलरव मोर ललाम पावजै।।[…]

» Read more
1 2