बुद्धि के दाता:गणपति

हुई जब हौड़ नापे कौन जग दौड़,
सारे काम धाम छोड़ बड़े भ्राता बोले ध्यान दे।
मूषक सवार देख धरा को पसार,
तो से पड़ेगी ना पार क्यों न खड़ी-हार मान ले।
एकदंत एकबार कर ले पुनः विचार,
छोड़ अहंकार याके सार को तु जान ले।
‘शक्तिसुत’ षडानन-गजानन बीच ऐसे,
हुई थी जो हौड़ वाको कहूँ सुनो कान दे।।[…]