दो गजलां -गिरधरदान रतनू दासोड़ी

एकर म्हारै गाम आवजै।
साथै थारी भाम लावजै।।
चांदो तारा बंतल़ करता।
हंसतो रमतो धाम पावजै।।
मिरच रोटियां मन मनवारां
काल़जियै रो ठाम पावजै।।
स्नेह सुरां री बंशी सुणजै।
तल़ खेजड़ आराम पावजै।।
फोग कूमटा जूनी जाल़ां।
परतख वांमे राम पावजै।।
विमल़ वेकल़ू धवल़ धोरिया।
कलरव मोर ललाम पावजै।।[…]

» Read more

व्हाल ब्हावरी री गज़ल

सुपन री बातां निराल़ी है सजणवा!
आँख में जिण सूं दिवाल़ी है सजणवा!१
रात -राणी री महक रूं रूं रमंती,
डील ज्यूं फूलां री डाल़ी है सजणवा!२
ख्वाब वाल़ी नौकरी दीधी खरी थें,
रोज म्हारी रातपाल़ी है सजणवा!३ […]

» Read more

दो गजलां

पैला वाल़ा भाव कठै बै।
सबरी बोरां चाव कठै बै।।
राम आपरो स्वारथ भाल़ै।
नेह परखणा चाव कठै बै।।
रोप्या हा तो रोप जाणिया।
अंगद वाल़ा पाव कठै बै।।

» Read more

ज्वारडा! खम्मा घणी!ओ ठाकरां

तावडा ज्यूं क्यूं तपौ हो आकरा,
ज्वारडा! खम्मा घणी ओ ठाकरां!
बाजरी रो एक कण दीधा बिनां,
बोरियां भर बांटिया क्यूं काकरा!
छाल़ियां द्यो आज चरवा सीम में,
काल ले लिजौ भलां दुय बाकरा||

» Read more

गज़ल-कलम कागद लाव बीरा!

उठै मन में भाव बीरा!
कलम कागद लाव बीरा!
दूर बैठौ पोल़ में क्यूं,
आव घर में आव बीरा!
करे संको मती मन में,
सहज दे प्रतिभाव बीरा!
तान लय री छेड नें थूं,
गीत गज़लां गाव बीरा!
भाव है मोटौ ठिकाणौ, […]

» Read more

गज़ल-हाल मनवा!

हाल मनवा! दूर अनहद देस; चालां,
ले कमंडल, प्हैर भगवौ भेस; चालां।।१
चिट्ठीयां नी डाकियौ नी है कबूतर,
तोई कुण भेजे रियौ संदेश; चालां।।२
बाट में रूकणौ बटाऊ ठीक है पण,
पंथ री दूरी लखै हम्मेश; चालां।।३
छाछ, बाटी, राबडी रो स्वाद लेवा,
गांव, ढांणी, झूंपडी के नेस; चालां।।४ […]

» Read more

गज़ल – जींदगी रा गीत री

जींदगी रा गीत री पंक्ति घणी है|
वां सबां में आध इक म्है गणगणी है|
आज भाल़ी बाट तो औ ठा पडी के,
जिंदगाणी थां बिना लंबी घणी है||
बे विपद रा भाखरां ने काट देवै,
हाथ जिण रे धैर्य री हीराकणी है||
पावतां ही परस निरमल डील होवै,
प्रेम अर प्रियतम उभय पारस मणी है|| […]

» Read more

आखर रो उमराव – सोरठिया गज़ल

आखर रो उमराव,अवस कवि सुण आशिया।
समपै लाख पसाव, अवस कवि सुण आशिया।

दाखत दोहा छंद, गज़ल गीत कहतौ गज़ब।
भरने उरमें भाव, अवस कवि सुण आशिया॥

गीत दोहरा छंद, ह्रदय भाव बेकार है ,
गैला रो औ गांव,अवस कवि सुण आसिया॥ […]

» Read more

गज़लें : वैतालिक कृत

म्है खत थांनै आज लिखूं सा।
मत व्हैजो नाराज लिखूं सा।
कदे शिकायत थें मत कीजो,
घणै मान सूं राज लिखूं सा।
थांरी सूरत रा हेताळू,
अजब गजब अंदाज लिखूं सा।
मन री बातां खोल बतासूं
खरा ज आखर आज, लिखूं सा।[…]

» Read more

आव गज़ल थुं आव अठे

छम छम करती पांव अठे।
आव गज़ल थुं आव अठे।
मन री बातां थनें सुणादूं,
नहीं कपट रा दाव अठे।
दाद ,कहकहा ,वाह वाह री,
अपणायत अणमाव अठे।
मन रा सुर थुं मांड मुळकती,
लय री झांझ बजाव अठे। […]

» Read more
1 5 6 7