गीत सैणलाराय रो – पन्नारांमजी मोतीसर जुडिया कृत

।।गीत – संपखरो।।
भुजां साहियां त्रसूल़ झूल़,सगत्यां स तेज भाण,
केवियां कैवांण पांण हटावै कंकाल़।
आराधियां आवै ताल़,तीसरी ईसरी आप,
कीजै माहेश्वरी रिच्छा आरोहा लंकाल़।।[…]

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गीत संपखरो – तेमड़ाराय रो

नमो माडरांणी बखाणी तो सुरारांणी नमो नमो,
दीपै भांणी सात अहो भाखरां रै देस।
सालिया मेछांणी मुरड़ मंडिया केक संतां,
इल़ा मौज माणी राज अन्नड़ां आदेस।।1

धमां -धमां रमै जेथ गूघरां वीनोद गूंजै,
धूजै धरा धमां-धमां कदम्मां री धाक।
हमां-हमां करंती किलोल़ लाख नवै हेरो,
नमै जेथ खमा -खमा सुरां-नरां नाक।।2[…]

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जोग माया रो गीत सपाखरु – कविराज लांगीदास जी

देवी झंगरेची, वन्नरेची, जळेची, थळेची देवी;
मढेची, गढेची देवी पादरेची माय।
कोठेची वडेची देवी सेवगाँ सहाय करे,
रवेची चाळक्कनेची डूँगरेची राय।।1[…]

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गीत घोड़ी री तारीफ रो – महादानजी महडू

।।गीत सपाखरु।।
दिनां थोड़ी चौड़ी उरां घोड़ी वेग बधै दौड़ी,
तोड़ी फेट लागां गढां कोड़ी मोल तेण।
मोटोड़ी चसम्मा साळग्राम जेड़ी गजां मोड़ी,
भाणवा आछोड़ी घोड़ी बरीसी भीमेण।।1।।[…]

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जोगमाया रो सपाखरु गीत – कवि बेणूजी

।।गीत-सपाखरु।।
काळी कामाखा कृष्णा कळा कमळ्ळा कराळी क्रोधा,
वामंगा विमल्ला बाळा वसंती विराट।
हरसिध्ध हिंगळाज हेमपुत्री हेला हरा,
मातंगी मंगळा माता मंडे मही माट।।1

कुषमंडा काळरात्र कातयणी भद्रकाळि,
साकुंभरी शैलपुत्री सोख चडा सीत।
चंद्रघंटा चंद्रेसुरी चाँवंड चाळक्कनेची,
जोगणी जगाडों ज्वाळामुखी जंगजीत।।2[…]

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आवाहण गीत सपाखरु – कवि खोडीदान जी

।।गीत सपाखरु।।
बाइ आविए सँकटाँ पडये, तारवाँ चारणाँ बेडो।
नाम रा भामणाँ लियाँ, वधारणी नूर।।
चारणी पधारो मैया, सुधारणी कविसराँ।
हिँगऴाज आदि माता, हाजराहजूर।।1।।

जाऴँधरी गातराड, काळिका भवानी जपाँ।
रवेची अंबिका देवी, कथाँ जगराय।।
वडाँवडी आशापुरा, डुँगरेची थऴाँ वाळी।
माढराणी तुझ नमाँ, भुजाळी मोमाय।।2।।[…]

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देवां दातारां जूझारां-धुप दीप करते वक्त बोलने की स्तुति-हमीरदान जी रतनू

गीत – सपाखरो
देवां दातारां जूझारां चारां वेदां अवतारां दशां,
धरां हरां ग्यारां रवि बारां चारां धांम।।
सतियां जतियां सारां सुरां पुरां रिषेसरां,
पीरां पैगम्बरां सिद्ध साधकां प्रणाम।।१।।

नवां नाथां नवां ग्रहां नवसो नवाणुं नदी,
नखत्रां नवेही लाखां भाखां नवे निद्ध।।
पर्वतां आठ कुळां वसु आठ वंदां पाव,
साठ आठ तिरथां समेतां आठ सिद्ध।।२।।

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पाबू प्रशंसा – कवि स्व. भंवर दान जी, स्व.अनौपदान जी झणकली कृत

।।गीत सपाखरौ।।

दैवलौक सुं उतरी एला, हीसती वाजींद दैख ।
धायौ खींची जींधराव, मीशणा रा द्वार।
हैवरी रै मौल रौकङा, धाम्या कै हजार ।
एहंगा नाकार सुणै रूठियौ अपार……. 1 […]

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गीत सुपंखरो

इच्छा बैराट उपाय जै नमस्ते नमो आदेश्वरी,
समस्ते रचाया रूप अनेका सनाद।
गणपति शारदा ब्रह्मा विष्णु रुद्र गाया,
अम्बे महमाया जयो शकत्ती अनाद ।।1।।

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वाह घोडा वाह – कवि दुला भाया “काग”

गीत सपाखरू
छूटा ग्राहबे वोम बछूटा रोकता धराका छेडा
उठाहबे पागा महि शोभता अथोग
धाहबे खगेश तके वेगरा अथाह धख्या
साहबे नाखता पागा नटव्वा अमोध (1)

डाबला मांडतां धरा धमंके साबधी दणी
झमंके साजहीं कोटे रंभरा झकोळ
चमके वाहसे जाणी वीजळी जालदा चळी
भ्रम्मवाळा भारे ठाळा गतिवाळा मोर (2) […]

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