भक्त कवि मुरारदानजी आशिया नोखड़ा

बीसवीं सदी में डिंगल़ रा केई सिरै कवेसर होया, जिणां आपरी सिरजणधारा सूं समाज नै नवो भावबोध अर साहित्य नै ऊंचाई दी। ऐड़ै ई विरल कवियां मांय सूं एक हा मुरारदानजी आशिया नोखड़ा। नोखड़ा आशिया चारणां रो गांम। जठै साहित्यकारां अर साहित्य सेवियां री एक लंबी श्रृंखला रैयी है। जिणांमें भैरजी आशिया, वांकजी आशिया आद कवेसर इण थल़वट में चावा हा। भैरजी रचित करनीजी रो चित इल़ोल गीत तो इतरो लोकप्रिय है कै सैंकड़ू जणां रै कंठाग्र है-

सबल़ तोरो देख सरणो, ओट लीधी आय।
भणै यूं कर जोड़ भैरूं, पड़्यो रैसूं पाय।
तो महमायजी महमाय, मोपर महर कर महमाय।।

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झरड़ो! पाबू सूं करड़ो!!

प्रणवीर पाबूजी राठौड़ अपने प्रण पालन के लिए वदान्य है तो उनके भतीज झरड़ा राठौड़ अपने कुल के वैरशोधन के लिए मसहूर है।
मात्र बारह वर्ष की आयु में जींदराव खीची को मारा। जींदराव की पत्नी पेमां जो स्वयं जींदराव की नीचता से क्रोधित थी और इस इंतजार में थी कि कब उसका भतीजा आए और अपने वंश का वैर ले। संयोग से एकदिन झरड़ा जायल आ ही गया। जब पेमल को किसी ने बताया कि एक बालक तलाई की पाल़ पर बैठा है और उसकी मुखाकृति तुम्हारे भाईयों से मिलती है। पेमल की खुशी की ठिकाना नहीं रहा। वो उसके पास गई। उसकी मुखाकृति देखकर पहचान गई तो साथ ही उसकी दृढ़ता देखकर आश्वस्त भी हो गई कि यह निश्चित रूप से वैरशोधन कर लेगा।[…]

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कीरत कज कुरबान किया

आदू कुल़ रीत रही आ अनुपम,
भू जिणरी भल साख भरै।
महि मेवाड़ मरट रा मंडण,
सौदा भूषण जात सिरै।।1

दिल सूं हार द्वारका दिसिया,
वाट हमीरै राण वरी।
माता वचन बारू मन मोटै,
केलपुरै री मदत करी।।2[…]

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हर दिया हाथ जिण सीस हेरलो – गीत सोहणो

।।गीत – सोहणो।।
हर दिया हाथ जिण सीस हेरलो,
निजरां आयो बीह नहीं।
दोखी मुवा पटक सिर देखो,
रीस उवां री धरी रही।।1

उबरै नाथ कृपा झल़ अगनी,
चटको विसहर नाय चलै।
पच -पच अरि थकै पिंड पूरा,
हर रै आगै नाय हलै।।2[…]

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गीत सोहणो

कंत सूं लुका राखिया कामण
नोट पांचसौ पांच नवा।
मोदी करी मसकरी मांटी।
हिवविध भूंडा हाल हुवा।।1
अहर बितायो आमण-दूमण
नैणां रातां नींद नहीं।
देवा डंड किसोड़ो दीधो?
कल़पी बातां ऐह कही।।2[…]

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की फिर पाजी हाण करै

।।गीत-सोहणो।।
राखै ज्यां सीस हाथ तूं राजी,
की फिर पाजी हाण करै।
अरियां परै खीज अगराजी,
सनमुख माजी काज सरै।।1
आसा सदा पूरणी आई,
धुर विसवासा अडग धरै।
काली भाषा समझ कृपाल़ी,
भाव हुलासा तुंही भरै।।2[…]

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वीर देवपाल़ देवल रो गीत सोहणो

5 मई 1948 नै जनम्या देवपालसिंह देवल, बासणी दधवाड़ियान (जिला पाली, राज. ) रा भवानीदानजी देवल अर श्रीमती प्रकाशकंवर ऊजल़ (ऊजल़ां जिला जैसलमेर, राज. ) रा मोभी हा। देवकरणजी बारठ लिखै– आद कहावत चलती आवै, साची जिणनै करी सतेज। मामा जिणरा हुवै मारका, भूंडा क्यू नीपजै भाणेज? नाथूराम सिंहढायच नानो, दादो जिणरो माधोदास। दुषण रहित घराणा दोनूं, कुळ भूषण मामो कैलाश अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हुवण पछै आप भारतीय सेना में एनसीसी रै माध्यम सूं एक कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल हुया। उणां छोटी वय में ई हिमालय पर्वतारोहण संस्थान और महू (मध्य प्रदेश) में कमांडो कोर्स नै सफलतापूर्वक […]

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भलै काम रो अंत भलो – गीत सोहणो

||गीत सोहणो||

मनवा तूं दर पिछतावो मत कर
भलै काम रो अंत भलो
खूटल कर खोटा खुट जासी
चेत हेत री राह चलो
अंतस राख उसूल अटूटा
खुल़िया खूंटां मती खसै
अवसरवाद जाण मत आछो
धोल़ां नाही धूड़ धसै […]

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बापू रा तीन बांदर

बापू देख बीगड़्या बांदर, सो बदल़ै नित भेख सही।
लिखिया लेख तिहाल़ा लोपै, नटखट राखै टेक नहीं।।१
ईखै बुरी रोज ही आखां, काज बुरां री खोज करै।
माणै मोज तिहाल़ा मरकट, डोकर तोसूं नोज डरै।।२

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करणी माता स्तवन

🌺गीत सोहणौ🌺
सुखदायक नाम मात तौ सगती, दुखदायक पातक दुनिया।
वीसहथी वरदायक वाहर, कुळ जाई मेहा किनिया॥1
संकै मन मत मात सहायक, रंकौ री रिछपाळ रहै।
जस डंकौ उणरौ दुणि बाजै , लोवड री जो ओट लहै॥2

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