चारण वंशोत्कीर्तनं – सत्येंद्र सिंह चारण झोरड़ा

।।गीत – त्रिकुटबंध।।
शुभ जात चारण सोवणी,
महदेव रे मन मोवणीं,
कंठा’ज शारद भुज भवानी, देवियां री दूत।
खग समर मांही खांचता।
भट ओज आखर बांचता।
कवि गीत डिंगल सृजन कर कर।
कहत दहुकत सबद खर खर।[…]

» Read more

त्रिकूटबंध गीत – वंश भास्कर

उम्मेद भूपति अंग में,
रसबीर संकुलि रंग मैं,
बरबीर बारह सै प्रबीरन चक्क लै चहुवान।
जयनैर सम्मुह जोर सों,
भिलि खग्ग झारीय भोर सों,
बर गुमर असिबर समर,
लगि झर कुनर छरतर हुनर
हत कर जबर खर सर गजर
जय धर अडर भर भिलि कचर-
घन कर अमरपुर मचि दवर
दरबर उदर भर मिलि मुखर
पलचर खचर चय अर खपर
खरभर पहर इक बजि टकर धरपर घोर इम घमसान।।1।।[…]

» Read more

गीत त्रिकुटबंध करनीजी रो

।।गीत-त्रिकुटबंध।।
इल़ रूप करनल आजरो
हिव जनम जय हिंगल़ाज रो
इम कोम किनियां करण ऊजल़, मेह रै महमाय।
अवतार करनल आपरो,
सुध भाग रँग सोयाप रो
सोयाप मुरधर रीत सुरधर
उमँग उरधर भाव भर-भर
कोड तर-तर होड कर-कर
गहक धुनिकर गीत घर-घर
सधर सज नर नार सरभर
गुमर हरदिस गहर मनभर
अमर फणधर उरस ऊतर
उछब अवसर रिधू अवतर पहर खुशियां पाय।।1[…]

» Read more

आवड़ आराधना रो गीत

।।गीत त्रिकुटबंध।।
अनुपम्म तन धिन आवड़ा,
महि अवतरी घर मामड़ा,
भावड़ा सुधमन देख भगती, सगत रूपां सात।
जयो सगत जूनी जोगणी,
भल जगत ख्यातां तो भणी
विपत मचियण पात वचियण।
गुणण रचियण गीत गुणियण।
जणण जपियण सयल़ जण जण।
करत कवियण साद सुणियण।
संकट भंजियण बहै सचियण।
सजण आसण सिघ सोहण।
चढण जोगण चसण चखियण।
करण अरियण कोप कण कण। हितू सिर रख हाथ।। १[…]

» Read more

आवड वंदना – त्रिकूटबंध गीत

।।गीत-त्रिकूट बंध।।
मन रंग थळ री मावडी,
नरपत उदधि भव नावडी,
शिणगार सोळह सजै सुंदर, लाख नव संग लेय।
अगवाण नाचै आवडा,
मन मोद कर धी मामडा,
धर चाप पद शुभ धरणि धसकत।
घुघर घण रव घमम घमकत।
ठमक ठम ठम रमत ठमकत।
फरर फर फर वसन फरकत।
चमक दुति जिम चपल चमकत।
विविध नभ शुभ सुमन वरसत।
नमन सुर नर करत निरखत।
नयण दरसण करत नित प्रत। देवी आणंद देय।।1।।[…]

» Read more