वेलि क्रिसन रुकमणी री – महाकवि पृथ्वीराज राठौड़

महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ रचित अनुपम प्रबंध काव्य।
भावार्थ – श्री मातु सिंह राठोड़
छंद वेलियो

।।मंगलाचरण।।
परमेसर प्रणवि, प्रणवि सरसति पुणि
सदगुरु प्रणवि त्रिण्हे तत सार।
मंगळ-रूप गाइजै माहव
चार सु एही मंगळचार।।1।।

» Read more

गीत वेलियो चावा चारण कवियां रो

आज पुराणा कागज जोवतां अचाणचक एक बोदो ऐड़ो कागज लाधो जिणमें म्हैं एक वेलियो गीत वर्तमान चावै डिंगल़ कवियां माथै दिनांक 23/5/92 जेठ बदि 6, 2049 नै लिख्यो अर आदरणीय डॉ.शक्तिदानजी कविया नै मेल्यो। हालांकि म्हैं इणगत तारीख लिख्या नीं करूं पण आ लिखीजगी जणै याद ई रैयगी।

सांभल बात कायबां भल सांभल़,
पाल़ण डींगल़ पेख्या प्रीत।
ज्यांरो आज बुद्धिसम जोवो,
गढव्यां तणो बणावूं गीत।।1[…]

» Read more

सबसूं है मोहन सिरमोड़ !

गीत – वेलियो
मोहन बल़ तणी बात आ महियल़,
लखियो नकूं कोई लवलेश।
डिगतो बह्यो डांग कल़ डोकर,
अधपतियां करियो आदेश।।1

बीजो बुद्ध अवतरियो बसुधा,
अहिंसा तणो उपासक आप।
गुणधर पांण विनाशक गोरां,
पराधीनता काटण पाप।।2[…]

» Read more

विलल़ा मिनख रूंख नैं बाढै!

।।गीत – वेलियो।।
परघल़ रूंख ऊगाय परमेसर, अवन बणाई ईस अनूप।
विलल़ा मिनख रूंख नैं बाढै, वसुधा देख करै विडरूप।।1

पँचरँग चीर धरा नैं परकत, हरियल़ हरि ओढायो हाथ।
मेला जिकै मानवी मन रा, गैला करै विटप सूं घात।।2[…]

» Read more

आई ऐह दिया उपदेश

।।गीत – वेलियो।।
मढड़ो महमाय थान इऴ, मोटो,
जग में आज चारणां जात।
कऴजुग-पाप दरसणां काटण,
सोनल उथ राजै सुखदात।।१

धारण-चारण एक धरा रा,
भायां मांय किसो ओ भेद।
सोनल तणो संदेशो साचो,
इऴ पर पूगो थपण अभेद।।२[…]

» Read more

ईसाणंद म्हारा आदेश

आसा ईशर अवन उण, प्रगट्या मोटा पात।
भोम अहो भादरेस री, विमल़ चहुदिस बात।।

।।गीत वेलियो।।
आयो कुळ जात उजाळण अवनी
भायो भोम नमो भादरेस,
सूरै भाग सरायो सारां।
ईसर पायो पूत आदेस।।1[…]

» Read more

🌷रांगड़ रँग रै तो रघुवीर!!🌷

🌷गीत वेलियो🌷
किण सू हुई नह हुवै ना किणसूं,
हिवविध राम तिहारी होड!
कीधा काम अनोखा कितरा,
छिति पर गरब उरां सूं छोड!!1

बाल़पणै दाणव दल़ वन में,
रखिया कुशल़ सकल़ रिखिराज।
कातर नरां अभै भल कीधा,
सधरै धनुस करां में साज।।2[…]

» Read more

गूदड़िया छोड अबै तो गैला

।।गीत-वेलियो।।
गूदड़िया छोड अबै तो गैला,
लोयण धार जरा सी लाज।
ऊगो अरक ऊंग तज आल़स,
कर रै चारण घर रो काज।।१

पूरी रात गमाई पीतां,
चूस्या गूडल़ घणेरै चाव।
पड़ियो मंझ रातरो प्रीतम,
दिनकर अब तो दियो दिठाव।।२[…]

» Read more

राखण रीत पुरसोतम राम

गीत-वेलियो
लंका जाय पूगो लंबहाथां,
निडर निसंकां नामी नूर।
दसरथ सुतन दिया रण डंका,
सधर सुटंका धानख सूर।।1

अड़ियो काज धरम अतुलीबल़,
भिड़़ियो असुरां गेह भुजाल़।
छिड़ियो भुज रामण रा छांगण
आहुड़ियो वड वंश उजाल़।।2[…]

» Read more

लूणोजी रोहड़िया री वेलि

बीठूजी नै खींवसी सांखला 12 गांव दिया। बीठूजी आपरै नाम सूं बीठनोक बसायो। कालांतर में इणी गांव म़े सिंध रै राठ मुसलमानां सूं सीमाड़ै अर गोधन री रुखाल़ी करतां बीठूजी वीरगति पाई। जिणरो साखीधर उठै एक स्तंभ आज ई मौजूद है। बीठूजी री वंश परंपरा में धरमोजी होया अर धरमोजी रै मेहोजी। मेहोजी रै सांगटजी/सांगड़जी होया। बीठनोक भाईबंटै में सांगड़जी नै मिलियो जिणरै बदल़ै में तत्कालीन जांगलू नरेश इणां नै सींथल़ इनायत कियो।
सांगड़जी सींथल आयग्या। सांगड़जी रै च्यार बेटा हा-मूल़राजजी, सारंगजी, पीथोजी, अर लूणोजी। एकबार भयंकर काल़ पड़ियो तो च्यारूं भाई आपरी मवेशी लेयर माल़वै गया परा। लारै सूं सूनो गांम देख ऊदावतां सींथल माथै कब्जो कर लियो। मेह होयो। हरियाल़ी होई तो ऐ पाछा आपरै गांम आया। आगे देखै तो ऊदावत धणी बणिया बैठा है! उणां विध विध सूं समझाया पण उणांरै कान जूं ई नीं रेंगी।[…]

» Read more
1 2