श्री हडुमानजी रौ अष्टक – डॉ. शक्तिदान कविया

।।छन्द रोमकंद।।
अतुळीबळ झेल भुजां ब्रिद ऊजळ, सायर लंघ उझेल सची
गजठेल प्रजाळण लंक तणौ गढ़, मारुत नन्दण हेल मची।
नित तेल सिंदूर चढ़ै कपिनायक, भाव अपेल सुं होय भली।
अजरेल जयो हड़ुमांन अणंकळ, बेल करे बजरंग बली।।१[…]

» Read more

हनुमत वंदना

!!छंद-नाराच (पंच चामर) !!
अकूत शौर्य!अंजनी-प्रसूत! ज्ञानसागरं!
कपीश!राघवेन्द्रसैन्ययूथमुख्यवानरं!
सिया-सपूत!प्रेतभूतपूतनादिदंडनं!
श्रीरामदूत! वायुपूत! हे हनूंत वंदनं!! १[…]

» Read more

જેણે રામને ઋણી રાખ્યાં – દુલા ભાયા કાગ

જગતમાં એક જ જન્મ્યો રે જેણે રામને ઋણી રાખ્યાં
રામને ચોપડે થાપણ કેરા ભંડાર ભરીને રાખ્યાં
ન કરી કદીએ ઉઘરાણી તેમ સામા ચોપડા ન રાખ્યાં
જગતમાં એક જ જન્મ્યો રે જેણે રામને ઋણી રાખ્યાં
માગણા કેરા વેણ હરખથી કોઈને મોઢે ન ભાખ્યાં
રામકૃપાના સુખ સંસારી સ્વાદભર્યાં નવ ચાખ્યાં[…]

» Read more

हनुमान अष्टक – जनकवि ऊमरदान लालस

अंजनी ग्रभ आयौ, सुमन सुहायौ, गुनि गन गायौ, ग्यान गती।
पावन सुत पूरौ, दूषण दूरौ, समहर सूरौ, जन्म जती।
करनी सुभकारी, धर जस धारी, भव भयहारी, भीम भुजा।
ले लाल लंगोटी, काछ कछोटी, धारन मोटी, लाल धजा।।१[…]

» Read more

श्री हनुमानजी स्तुति – लींबडी राजकवि शंकरदानजी देथा

।।दोहा।।
संकट मोचन बिरदतें, शोभित परम सुजान।
प्रिय सेवक सियारामके, नमो वीर हनुमान।।

।।छंद मोतीदाम।।
नमो महावीर जली हनुमंत।
धीमंत अनंत शिरोमणी संत।।
नमो विजितंद्रिय वायु कुमार।
अकामि अलोभी अमोहि उदार।।[…]

» Read more

हनुमान वंदना

🌺छंद मोतीदाम🌺
असीम! नमो वपुभीम! अनंत!
सुसेवित-सिद्ध-रू-किन्नर संत!
महा वरवीर! महारणधीर!
सदा अनुरक्त-सिया रघुवीर!
कराल! नमो वपु-बाल! कृपाल!
महाभड़! मानस-मंजु-मराल!
महागुणवान! कपीश! महान! नमो हड़ुमान नमो हड़ुमान! १[…]

» Read more

જેણે રામને ઋણી રાખ્યા – કવિ શ્રી દુલા ભાયા કાગ

જમદઢ જાંબુવાન અને નળ અંગદ સુગ્રીવ નર્યા
પણ હજુ લગ હનુમાન ઈતો કાયમ બેઠો ‘કાગડા’

જગતમાં એક જ જનમ્યો રે કે જેણે રામને ઋણી રાખ્યા

રામને ચોપડે થાપણ કેરા ભંડાર ભરીને રાખ્યા
ન કરી કદીએ ઉઘરાણી જેમ, સામા ચોપડા ન રાખ્યા
જગતમાં એક જ જનમ્યો રે કે જેણે રામને ઋણી રાખ્યા[…]

» Read more

बजरंग वंदना

।।छंद-रोमकंद।।
नभ मे रवि तेज निहारिय नाटक, राटक रांमत तैंज रची।
अड़ड़ाटक पूगिय जोर उंचांचळ, सांमथ दाटक बात सची।
जबरेल तुंही मुख झालिय झाटक, काटक भोम अंधार करै।
हड़मांन जहांन हुवो दुख हारण, कारण दास पुकार करै।।1

बलवंत बुवो जग जांमण वाहर, लंघड़ सांमद पाज लँगी।
अजरेल त्रिकूट उथाळण आगळ, सांम रै कारज सांम सँगी।
पह सीत रै पास पुगो हरिपायक, सो सुखदायक हांम सरै।
हड़मान जहान हुवो दुख हारण, कारण देस पुकार करै।।2[…]

» Read more

हनुमान तांडव – सुरताणिया जगमालसिंह ‘ज्वाला’

।।छंद रेणकी।।
रट रट मुख राम, निपट झट नटखट, परगट तांडव रुप रचे।
कट कट कर दंत, पटक झट तरु वट, लपट झपट कपि नाच नचे।
दट दट झट दोट, चोट अति चरपट, लट पट दाणव मार लहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।1। […]

» Read more

हनुमान वंदना – कानदासजी मेहडु  (गाम- सामरखा) 

॥छंद त्रिभंगी॥
मन हेत धरंगी, हरस उमंगी, प्रेम तुरंगी, परसंगी।
सुग्रीव सथंगी, प्रेम पथंगी, शाम शोरंगी, करसंगी।
दसकंध दुरंगी, झुंबै झंगी, भड राखस जड थड भंगी।
रामं अनुरंगी, सीत सुधंगी, बिरद उमंगी, बजरंगी॥1॥[…]

» Read more