आवड मां रा रास रमण रे भाव रा दुरमिल सवैया

।।दोहा।।
माडेची उछरंग मंडै, सझि पोशाक सुढाळ।
बोलत सह जय जय विमळ, बाजत राग विशाळ॥ 1 ॥
।।छंद – दुरमिला।।
बहु राग बिलावल बाजहि विम्मळ राग सु प्रघ्घळ वेणु बजै।
मिरदंग त्रमागळ भेरिय भूंगळ गोमस सब्बळ वोम गजै।
बहु थाट बळोबळ होय हळोबळ धुजि सको यळ पाय धमै।
शिणगार सझै मुख हास सुशोभित रास गिरव्वर राय रमै॥ 1 ॥
घण बज्जत घुंघर पाय अपंपर लाखूं ही दद्दर पाय लजै।
घण मंडळ घूघर बास पटंबर बोलत अम्मर मोद बिजै।
अति बासव अंतर धूजि धरा जोगण जब्बर खेल जमै।
शिणगार सझै मुख हास सुशोभित रास गिरव्वर राय रमै॥ 2॥[…]