अंबा स्तवन

।।छंद त्रिभंगी।।
अयि!उमा अपरणा, हर मन हरणा, वेद सु बरणा, सुर सरणा।
उर आनंद भरणा, करुणा करणा, नेह निझरणा, बहु वरणा।
वपु गौर सुवरणा, पाप प्रजरणा, सौख्य सुभरणा, सुख स्तंभा।।
भज मन भुजलंबा! कृपा कदंबा! जय जगदंबा! श्री अंबा!
जय जय जगजननी जगदंबा!!१[…]