मुलक सूं पलकियो काढ माता!! – विरधदानजी बारठ

।।गीत।।
उरड़ अणतार बिच वार करती इधक,
बीसहथ लारली कार बगती।
आंकड़ै अखूं आधार इक आपरो,
सांकड़ै सहायक धार सगती।।

त्रिमागल़ रोड़ती थकी आजै तुरत,
आभ नै मोड़ती मती अटकै।
रसातल़ फोड़ती थकी मत रहीजै,
गोड़ती समुंदरां असुर गटकै।।[…]

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चामुंडा माताजी रो डिंगळ गीत – कवि राघवदान जबरदान देवका

प्रणमो प्रेमे महाप्रचंडी।
चरिताळी चामुंडा चंडी।
छप्पन कोटि रुप कराळी।
चरण नमूं चोटीला वाळी।
चरण नमूं मां सूंधा वाळी॥1॥

महा समरथ तुंही मंहमाया।
चवदह ब्रहमंड तुं सुरराया।
महिखमारणी तुं महाकाळी ।
चरण नमूं चोटिला वाळी।
चरण नमूं मां सूंधा वाळी॥2॥[…]

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माता चामुंडा का त्रिभंगी छंद

॥छंद त्रिभंगी॥
कर रुप कराळं, नहद नताळं, भगतां भाळं, विकराळं।
डं डाक डमाळं, कोप कमाळं, बाज बताळं, पडताळं।
खटके ललखाळं, जोम भुजाळं, त्रोडण ताळं तिण तुंण्डा।
खडगां धरखंडा, असुर उतंडा, भय भ्रेकुण्डा, चामुण्डा।
जिय चोटीला री चामुंडा जय सुंधा वाळी चामुण्डा॥ 1 ॥[…]

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चामुंडा माता रा त्रिभंगी छंद

छंदःत्रिभंगी
असूरां सर कोपं,म्रजाद लोपं,खप्पर खोपं, धींखारी।
अरकां सम ओपं,मलकै मोपं,सिंघे चोपं किं स्वारी?
गिरा श्रुति गोपं,करे विलोपं,पद व्रत पापं,परजाळी।
चामुंडा चंडी,परम प्रचंडी,वैरि विहंडी,बिरदाळी॥1॥[…]

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