महाशक्ति देवल महिमा

।।छंद गयामालती।।
माड़वो गामां माड मोटो, अवन सांसण ऊजल़ी।
भलियै तणी थिर देख भगती, निजर हिंगल़ा निरमल़ी।
पह सँढायच कियो पावन, आय जिण घर अवतरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।5
जाल़ियां जूनी रमी जोगण, मगरियां भर मोद म़े।
कर बाप व्हाली रखी कंवरी, गढव निसदिन गोद में।
धर सोढ दादो हुवो धिन-धिन, भाव सूं अंकां भरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।6[…]

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गीत महाशक्ति देवलजी रो

महाशक्ति देवल जिन्होंने अपने पिता की जागीर का चौथा हिस्सा अपने पिता के सेवक जो कि बेघड़ जाति का मेघवाल था को देकर बनाया था जमींदार। आजादी के बाद, उस मेघवाल की संतति को मिला था जागीर का मुआवजा। आज भी पशिचमी राजस्थान के बेघड़, कागिया, पन्नू आदि उपशाखाओं की इनमें हैं अगाध आस्था—–

।।चित इलोऴ।।
इऴ माड़वै हिंगल़ाज आई,
करण कवियां कार।
सदन भलियै घरै सगती,
आप ले अवतार।
तो दातारजी दातार, देवी देवला दातार।।१[…]

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🌺श्रीदेवल माता सिंढायच🌺

देवल माता का जन्म पिंगलसी भाई ने सवंत १४४४ माघ सुद्धी चौदस के दिन बताया है। लेकिन वि सं 1418 में घडसीसर तालाब की नींव इन्होने दी थी जिसका शिलालेख वहां मौजूद है। ऐसा उल्लेख जैसलमेर की ख्यात व तवारीख में आता है। अत इस प्रकार इनका जन्म 14 वी शताब्दी में माघ सुदी चवदस के दिन होना सही लगता है। देवल माता हिंगलाज माताजी की सर्वकला युक्त अवतार थी। देवल माता ने भक्त भलियाजी और भूपतजी दोनों पर करुणा कर के एक के घर पुत्री और दुसरे के घर पुत्र वधु बनकर दोनों वंश उज्जवल किए। इनका जन्म माडवा […]

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महादेवी देवलजी रो गीत

।।गीत प्रहास साणोर।।
भलै सोढवत धरै तूं अवतरी माड भू
साच मन ईहगां वाच सेवी
वीरी तणै उदर रमी तूं बीसहथ
देवला रूप हिंगल़ाज देवी१
साहल़ां सांभल़ै बधारै संतजन
देव जस जगत मे लियै दाढा
ऊजल़ा संढायच किया कुल़ ऊपनी
ऊजल़ा नांनाणै किया आढा२
मोद तो ऊपरै करै इल़ माड़वो
सोढ री ऐल़ ओलाद सारी
चाढियो नीर चहुं पखां कुल़ चारणी
धिनो बण मानवी देह धारी३[…]

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छँद देवल रो – कविराज जुँझारदान जी दैथा ‘मीठड़िया’

🌹छँद रौमकँद🌹
सुरराय सदा अघ मेटण सॉप्रत पाय नमौ पह रीत पणॉ ।
रवराय देवी दुरगा वड राजत धाय दियायत खाय घणॉ ।।
सैवकॉ पर साय उपाय साधारण जौत धुबाय तुँ आय जिनूं ।
शगतॉ नवलाख झूलॉ विच शौभत दैवल राजत देव धिनूं ।।१।। […]

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मेघवाल़ होयो तो कांई ? म्है इण नैं भाई मानूं

माड़ रो माड़वो गाम जूनो सांसण। नैणसी, हमीर जगमालोत रो दियो लिखै तो उठै रा वासी उणस़ूं ई पुराणो मानै। इणी गांम में सोढैजी संढायच रै दो बेटा – अखोजी अर भलजी। भलजी स़ंढायच रै घरै मा वीरां री कूख सूं लोक पूज्य चारण देवी देवलजी रो जलम होयो – भलिया थारा भाग, देवल सरखी दीकरी। समदां लग सौभाग, परवरियो सारी प्रिथी।। देवलजीरी शादी ऊमरकोट रै गांम खारोड़ा रा देथा बापनजी साथै होई। यूं तो देवलजी रा घणा दिव्य चमत्कार अर लोकोपकारी काम चावा है, पण कमती लोग जाणता होसी कै आपां आज जिण दलित विमर्श अर दलितोत्थान री बातां […]

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