कांमेही काल़ो नाग

अन्याय, अत्याचार अर अनाचार रै खिलाफ चारणां में तेलिया, तागा अर जम्मर करण री परंपरा ही। किणी आतंक रै डंक सूं चारण शंक’र नीं रह्या। जद-जद किणी राजा, ठाकुर या मधांध मोटै आदमी इणां माथै अत्याचार करण री कोशिश करी तो इणां मोत नै अंगेजण में रति भर ई जेज नीं करी।
ऐड़ी ई एक गरवीली कथा है मा कांमेही रै आत्मोत्सर्ग री। यूं तो आप सुधिजन इण बात नै जाणो पण तोई म्है एकर आपनै पाछी याद दिराय दूं।
हारोबड़ी(गुजरात) रै चारण जसाजी रै घरै कांमेही रो जनम हुयो अर[…]
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