मोगल वंदना

!!छंद-नाराच (पंच चामर)!!
प्रणम्य !श्री गुरूं !पदाम्बुजं सुचित्त लाइके!
उमा-महेश पुत्र श्री गणेश को मनाइके!
स्मरामि धात्रि काव्य दात्रि श्वेतवस्त्र धारणी!
श्री मोगलं शिरोमणी! सुचिंतयामि चारणी!! १[…]
Charan Community Portal
!!छंद-नाराच (पंच चामर)!!
प्रणम्य !श्री गुरूं !पदाम्बुजं सुचित्त लाइके!
उमा-महेश पुत्र श्री गणेश को मनाइके!
स्मरामि धात्रि काव्य दात्रि श्वेतवस्त्र धारणी!
श्री मोगलं शिरोमणी! सुचिंतयामि चारणी!! १[…]
॥छंद-नाराच॥
हिये उदार, मुक्त हार, हेमतार हिंडले।
लगी कतार वीर लार झुल सार झुमले।
वैताल ताल वीर हाक डाक घोर दीपणी।
सरां सरे अतोल सांच मोगलाँ शिरोमणि॥1
बल्लाळ, बुट, बेचरा, चांपल्ल डुँगरेचीयं।
अंबाय, आवडं, सांसाई, राजलं रवेचीयं।
हिंगोळ सातदीप हूंत भद्रकाळि भामणि
सरां सरे अतोल सांच मोगलाँ शिरोमणि॥2[…]
विनय सुणन्तां वाहरू, तैयार हुय तत्काळ।।
छिन्न में बंध छुड़ावणी, मां मोंगल मछराळ।।१।।
भुज कर लम्बा भगवती, टेम विघन री टाळ।।
महर करण तुंही मुदै, मां मोंगल मछराळ।।२।।
देवी तुझ दरबार में नमै कैक नरपाळ।।
आशा पूरण अंबिका, मां मोंगल मछराळ।।३।।
||छंद – भुजंगप्रयात||
नमौ चारणी तारणी पाय तोळे,
कहो मां खमां तो कळोयांय कोळे
हजी हाजरा तुं हजूरीय हामी,
नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||02||
हरे चित्त चिंता विघन्नो विनासे,
अखिलेशरी आवियो ऐज आसे
डणंकी रीपु ने दीयो मात डामी,
नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||03||[…]
शीश नमाऊं शारदा, सुमरू देव सुण्डाळ।
जस बरणूं जगतंब रो, मां मोगल मछराळ।।1
ओखा धर जनमी उमय, ईहग बरण उजाळ।
तिहू लोकां तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।2
आवे जद अबखी बखत, करकश घूमे काळ।
उण पळ अम्ब उबारणी, मां मोगल मछराळ।।3
वरदे वीणा वादनी, बसजै ह्रदय विशाळ।
कीरत आई री कथूं, मां मोगल मछराळ।।१
समद समीपां सोहती, बीस भुजी विकराळ।
तनें नमन तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।२
ओखा री आणंद घन, वंदन बीस भुजाळ।
सबळ निबळ री स्वामिनी, मां मोगल मछराळ।।३
साद सुणंता शंकरी, तीजी आवै ताळ।
झटप बाज जिम जोगणी, मां मोगल मछराळ।।४[…]
आई मोगल चालीसा
(कवि परताप री कही)
जगदंबा जगदीशरी, मोगल मोरी मात।
भव भय हरणी अंबिका, समपी तौने जात॥1॥
देवी चारण जात री, जग पुजाती बाइ।
ओखा धर उजवाळवा, मोगल प्रगटी आइ॥2॥
आद भवानी इशरी, प्रगटी जिण दन वार।
भगतां रो मंगळ हुओ, जग मांहि जयकार॥3॥ […]
परचा जग वासिय नक्ख प्रकाशिय रध्ध हुलासिय, अंग रयं।
त्रमळं गुण गासिय, सुक्ख निवासिय, उजळ आशिय, चाव अयं।
वरदाण विळासिय, दुःख विनासिय, साम चौरासिय, जग्ग सरे।
महाकाळिय तुं मछराळिय मोगल कांकण वाळिय ल्हेर करे।।1 […]
॥छंद त्रिभंगी॥
परतापां पुरी, निरमळ नूरी, सतव्रत सूरी, सरसाई।
दाळद कर दूरी, क्रोध करुरी, बळ भरपूरी, थुं बाई।
भंजण दुःख भुरि, गंज गरुरी, रखण सबुरी, रढियाळी।
ओखा धर वाळी, देव डाढाळी, जय मोगल मां मछराळी॥1 […]