श्री डूंगरेचियां रौ छंद – मेहाजी वीठू

।।छंद सारसी।।
रम्मवा रंगूं ऊभ अंगूं, वेस चंगूं वेवरं।
चूड़ा भळक्कूं चीर ढक्कूं, पै खळक्कूं नेवरं।
संभाय सारं चूड़ भारं, हेम झारं क्रंमये।
साते समांणी आप भांणी, माड़रांणी रम्मये।।1।।[…]

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भगवती तेमड़ाराय नै दिया शाकाहारी रहने का सुभग संदेश

चौपासणी गांम रतनू गेहराजजी को भीम राठौड़ ने दिया था। इन्हीं गेहराजजी की संतति में आगे चलकर रतनू चांपोजी हुए जो तेमड़ाराय के अनन्य भक्त थे। एकबार वे तेमड़ाराय के दर्शनार्थ जैसलमेर स्थित तेमड़ाराय के थान जा रहे थे। जब निर्जन वन के बीच पहुंचे तो पानी समाप्त हो गया, इन्हें अत्याधिक प्यास लग गई। करे तो क्या करे!! हारे को हरि नाम ! इन्होंने भगवती को याद किया-

चांपो नगर चौपासणी, राजै रतनू राण।
बात ख्यात अर विगत री, जाझी साहित जाण।।1

गढवी गिरवरराय री, धुर उर भगती धार।
दूथी टुरियो दरसणां, करण मनोरथ कार।।2[…]

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गीत संपखरो – तेमड़ाराय रो

नमो माडरांणी बखाणी तो सुरारांणी नमो नमो,
दीपै भांणी सात अहो भाखरां रै देस।
सालिया मेछांणी मुरड़ मंडिया केक संतां,
इल़ा मौज माणी राज अन्नड़ां आदेस।।1

धमां -धमां रमै जेथ गूघरां वीनोद गूंजै,
धूजै धरा धमां-धमां कदम्मां री धाक।
हमां-हमां करंती किलोल़ लाख नवै हेरो,
नमै जेथ खमा -खमा सुरां-नरां नाक।।2[…]

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आईनाथ(तैमड़ै राय)री ओलग – कवि स्व. भँवरदान जी वीठू “मधुकर” (झणकली)

पग पग ओरण डग डग परचा, सब जग सुजस सुणावै हो।
आद भवानी मात आवड़ा, अवलु थारी आवै हो।
दैवी हैलो दै।।(1)

वेद विधाता शेंष सुरसती, गणपत किरत गावै हो।
भुचर खेचर बावन भेरू, थारो हुकम वजावै हो।
दैवी हैलो दै।।(2)

ऊंचो देवल धजा ऊधरी, हरदम होरां खावै हो।
घोर नगारों निर्मल घाटी, गगन घुरावै हो।
दैवी हैलो दै।।(3)[…]

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गीत तेमड़ाराय रो

।।गीत-प्रहास साणोर।।
करां झूल़ तिरशूल़ ले चढै तूं केसरी,
लेसरी नहीं अब ढील लाजै।
हेर सत सेवगां सीर हरमेसरी
ईसरी नेसरी भीर आजै।।1

भगत रा देख नित मनां रा भावड़ा,
तावड़ा, छांह कर तुंही टाल़ै।
मदत तैं आजलग करी नित मावड़ा,
पेख मग आवड़ा बो ई पाल़ै।।2[…]

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गीत तेमड़ाराय रो

।।गीत-प्रहास साणोर।।
करां झूल़ तिरशूल़ ले चढै अब केहरी,
ऐहरी बगत में भीर आजै।
दूथियां सरब सुख सिमरियां देहरी,
लालधज मेहरी साथ लाजै।।1
भगत रा देख नित मनां रा भावड़ा,
तावड़ा, छांह कर तुंही टाल़ै।
मदत तैं आजलग करी नित मावड़ा,
पेख मग आवड़ा बो ई पाल़ै।।2[…]

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रंग धर मोखांराय रमै

मूंजासर रा बीठू नगराजजी रै नेम हो कै बै हर चानणी सातम रा जैसलमेर स्थित तेमड़ै थान दरसण करण जावता। नगराजजी प्रसिद्ध कवि बोहड़ बीठू रै भाई हरदानजी रा बेटा अर प्रसिद्ध कवि सूजा बीठू रा पिताजी हा। आखिर बूढापो आयो तो डोकरै नेम नीं छोडियो। छेवट डोकरी साक्षात दरसण दिया अर कैयो “बेटा हमें तूं आगै सूं अठै मत आई। हूं खुद थारै सागै हाल र उठै ई रैवूंली अर बो दूजो मोटो तेमड़ो बाजैला पण तूं जठै लारै जोवैला हूं उठै ई थंब जावूंली।”

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